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  • एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेज का IPO आज से ओपन हुआ:26 जून तक कर सकेंगे निवेश, मिनिमम ₹14,800 लगाने होंगे; कंपनी मेडिकल गैस बनाती है
    on 24/06/2025 at 4:45 AM

    एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेज का IPO आज 24 जून को ओपन हो गया है। निवेशक इस इश्यू के लिए 26 जून तक बिडिंग कर सकेंगे। 1 जुलाई को कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे। इस इश्यू के जरिए कंपनी टोटल ₹852.53 करोड़ जुटाना चाहती है। कंपनी इश्यू में 452.53 करोड़ रुपए के फ्रेश शेयर्स जारी करेगी। इसके साथ ही कंपनी के मौजूदा निवेशक या प्रमोटर ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए 400 करोड़ रुपए के शेयर बेचेंगे। अगर आप भी इस IPO में पैसा लगाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि आप इसमें कितना निवेश कर सकते हैं… मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं? एलेनबैरी इंडस्ट्रियल ने IPO का प्राइस बैंड ₹380-₹400 तय किया है। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 37 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते हैं। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹400 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो इसके लिए ₹14,800 इन्वेस्ट करने होंगे। वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 481 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते हैं। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹1,92,400 इन्वेस्ट करने होंगे। इश्यू का 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व कंपनी ने IPO का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा है। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है। IPO से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल ₹210 करोड़ का कर्ज चुकाने और कैपिटल एक्सपेंडिचर, जनरल कॉरपोरेट पर्पस के लिए करेगी। मेडिकल और स्पेशलिटी गैस बनाती है कंपनी एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेज इंडस्ट्रियल, मेडिकल और स्पेशलिटी गैस बनाती और सप्लाई करती है। कंपनी ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हीलियम, आर्गन, LPG, मेडिकल डिवाइसेज और प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग सर्विसेज भी देती है। IPO क्या होता है? जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।

  • सेंसेक्स 900 अंक ऊपर 82,800 पर कारोबार कर रहा:निफ्टी 25,250 के पार; बैंकिंग, ऑटो और IT शेयरों में ज्यादा खरीदारी
    on 24/06/2025 at 3:55 AM

    हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन आज यानी मंगलवार, 24 जून को सेंसेक्स करीब 900 अंक चढ़कर 82,800 के स्तर पर है। निफ्टी में भी करीब 300 अंक की तेजी है, ये 25,250 के स्तर पर है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 29 में तेजी है। अडाणी पोर्ट्स, बजाज फिनसर्व, एशियन पेंट्स सहित 14 शेयर्स 3% तक ऊपर हैं। NTPC में मामूली गिरावट है। निफ्टी के 50 में से 46 शेयरों में तेजी है। NSE के सभी सेक्टर्स ऊपर हैं। निफ्टी PSU बैंकिंग 2.03%, रियल्टी 1.40%, IT 1.14%, ऑयल एंड गैस 0.7% और मेटल-ऑटो 1.3% चढ़ें हैं। बाजार में तेजी के 4 कारण एशियाई बाजारों में 2.5% तक की तेजी, अमेरिकी भी चढ़े 23 जून को विदेशी निवेशकों ने 5,592 करोड़ के शेयर खरीदे आज से ओपन हो रहे हैं तीन IPO इस हफ्ते कुल 6 मेन-बोर्ड IPO ओपन होंगे। लिस्ट देखिए… सोमवार को 500 अंक से ज्यादा गिरा बाजार हफ्ते के पहले कारोबारी दिन 23 जून को सेंसेक्स 511 अंक गिरकर 81,897 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 141 अंक की गिरावट रही, ये 24,972 पर पहुंच गया। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 9 में तेजी और 21 में गिरावट रही। HCL टेक, इंफोसिस और लार्सन एंड टुब्रो के शेयर्स 2.3% तक गिरे। ट्रेंट और BEL में 3.4% की तेजी रही। निफ्टी के 50 में से 35 शेयर्स गिरकर बंद हुए। NSE के IT इंडेक्स में 1.48%, ऑटो में 0.92% और FMCG में 0.74% की गिरावट रही। मीडिया में 4.39% की तेजी रही। मेटल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स भी चढ़कर बंद हुए। ——————————- बाजार से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 25 जून बाजार के लिए अहम, रिवर्सल दिख सकता है: एक्सपर्ट से जानें ट्रेडिंग के लिए खास-समय और लेवल; 5 फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चाल शेयर बाजार के लिए 23 जून से शुरू होने वाला हफ्ता अहम होने वाला है। इजराइल-ईरान युद्ध और विदेशी निवेशकों की खरीद-बिक्री से लेकर टेक्निकल फैक्टर्स बाजार की चाल तय करेंगे। इसके अलावा वेल्थ-व्यू एनालिटिक्स ने अपनी वीकली मार्केट आउटलुक रिपोर्ट में कुछ खास समय और स्तर बताए हैं, जो ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। पूरी खबर पढ़ेने के लिए यहां क्लिक करें… इस हफ्ते बाजार में 17 नए IPO ओपन होंगे: इनमें 6 मेनबोर्ड IPO; मिनिमम ₹14,800 से शुरू कर सकते हैं निवेश शेयर बाजार में इस हफ्ते 6 मेनबोर्ड समेत कुल 17 नए IPO ओपन होंगे। इसमें फाइनेंस, इंफ्रा, इंडस्ट्रियल, फूड, टेक और जेम्स-ज्वेलरी जैसे अलग-अलग सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं। ब्रोकरेज फर्मों के मुताबिक, हाल के दिनों में लिस्ट हुए IPO की परफॉर्मेंस ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है। बाजार में लिक्विडिटी बढ़ी है, रिटेल और इंस्टीट्यूशनल निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है। इसके चलते फिर से बाजार में कई कंपनियां IPO लेकर आ रही हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

  • पेट्रोल के दाम ₹120/लीटर तक पहुंच सकते हैं:क्रूड ऑयल 80 डॉलर हुआ, भारत-अमेरिका ट्रेड डील बीच में अटकी, टेस्ला की रोबोटैक्सी सर्विस शुरू
    on 23/06/2025 at 11:30 PM

    कल की बड़ी खबर पेट्रोल-डीजल के दाम से जुड़ी रही। ईरान की संसद ने हाल ही में अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया है। अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ सकता है। क्योंकि इस खबर के सामने आने के बाद क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं। वहीं, भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई है। ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा है। कल की बड़ी खबरों से पहले आज की सुर्खियां, जिन पर रहेगी नजर… अब कल की बड़ी खबरें पढ़ें… 1. पेट्रोल ₹120 लीटर तक पहुंच सकता है: वजह- तेल सप्लाई का सबसे बड़ा रास्ता बंद कर सकता है ईरान; क्रूड ऑयल 80 डॉलर हुआ ईरान की संसद ने हाल ही में अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया है। अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये तेल व्यापार का अहम रास्ता है। इस खबर के सामने आने के बाद क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट करता है। अगर क्रूड ऑयल के दाम लंबे समय तक बढ़े रहते हैं, तो तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 2. भारत में सस्ते दामों पर मक्का-सोयाबीन बेचने पर अड़ा अमेरिका: इससे भारतीय किसानों को नुकसान; भारत-अमेरिका ट्रेड डील बीच में अटकी भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई है। ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट भारत में सस्ते बिकें। वहीं भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं घटाना चाहती। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना मुश्किल हो जाएगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 3. अमेरिका में टेस्ला की रोबोटैक्सी सर्विस शुरू: बिना ड्राइवर चलते दिखीं EV, एक राइड का किराया ₹364; मस्क बोले- 10 साल की मेहनत का परिणाम दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला ने 22 जून को रोबोटैक्सी लॉन्च की है। ये ऐसी ऑटोनॉमस टैक्सी है, जो बिना किसी ड्राइवर के चलती है। कंपनी ने रोबोटैक्सी की एक राइड की कीमत 4.20 डॉलर यानी करीब 364 रुपए रखी है। रोबोटैक्सी सर्विस अभी केवल ऑस्टिन शहर में मिलेगी। ये फिलहाल कुछ निवेशक और कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए अवेलेबल हैं। ​​​इसका इस्तेमाल करने वाले कुछ यूजर्स ने X पर अपनी राइड का एक्सपीरियंस शेयर किया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 4. फोनपे IPO के लिए अगस्त में ड्राफ्ट पेपर्स फाइल करेगी: इश्यू से ₹13,014 करोड़ जुटाने का प्लान, इससे वैल्यूएशन ₹1.30 लाख करोड़ होने की उम्मीद अमेरिकी रिटेल दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट की डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे अपने IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) के लिए अगस्त में सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर्स (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस यानी DRHP) फाइल कर सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स के मुताबिक, फोनपे अपने IPO के जरिए 1.5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 13,014 करोड़ रुपए जुटाने की प्लानिंग कर रही है। इस IPO से भारत की डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे की वैल्यूएशन करीब 15 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। फोनपे ने अपने IPO को मैनेज करने के लिए बड़े नामों को चुना है, जिनमें कोटक महिंद्रा कैपिटल, जेपी मॉर्गन चेस, सिटीग्रुप और मॉर्गन स्टेनली शामिल हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 5. सोना ₹657 बढ़कर ₹99,348 पर पहुंचा: चांदी ₹1 लाख 7 हजार किलो बिक रही, गोल्ड इस साल ₹1 लाख 3 हजार तक जा सकता है सोने-चांदी के दाम में 23 जून को बढ़त रही। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार 24 कैरेट सोने का दाम ₹657 बढ़कर ₹99,348 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले सोना ₹98,691 पर था। वहीं चांदी की कीमत ₹288 बढ़कर ₹1,07,063 प्रति किलोग्राम हो गई है। इससे पहले ये ₹1,06,775 पर थी। वहीं 18 जून को चांदी ने ₹1,09,550 और सोने ने ₹99,454 का ऑल टाइम हाई बनाया था। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 6. रोल्स रॉयस की सबसे पावरफुल कार स्पेक्ट्रे ब्लैक बैज लॉन्च: 44,000 कलर ऑप्शन के साथ 4.1 सेकेंड में 0-100kmph की स्पीड, शुरुआती कीमत ₹9.5 करोड लग्जरी कार मैकर रोल्स-रॉयस इंडिया ने सोमवार (23 जून) को भारतीय बाजार में स्पेक्ट्रे ब्लैक बैज को लॉन्च किया है। यह कंपनी का पहला ब्लैक बैज इलेक्ट्रिक मॉडल है, जिसे इस साल फरवरी में ग्लोबल मार्केट में पेश किया गया था। यही नहीं रोल्स-रॉयस स्पेक्ट्रे ब्लैक बैज कंपनी की अब तक की सबसे पावरफुल कार भी है। कंपनी का दावा है कि कार सिर्फ 4.1 सेकंड में 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है। इसके अलावा कार को कस्टमाइज करने के लिए 44,000 कलर ऑप्शन मिलते हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… अब अपने जरूरत की खबर पढ़ें… LIC हाउसिंग फाइनेंस का होम लोन 0.50% सस्ता हुआ: अब 7.50% इंटरेस्ट पर मिलेगा कर्ज, यहां समझें EMI कितनी कम हो जाएगी हाउसिंग फाइनेंस ने होम लोन की ब्याज दरों में 0.50% की कटौती की है। अब LIC की होम लोन की ब्याज दर सालाना 7.50% से शुरू होंगी। RBI ने हाल ही में रेपो रेट को 6.00% से घटाकर 5.50% किया है। जिसके बाद बैंकों ने भी लोन की ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दी है। इससे पहले SBI, यूनियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी लोन की ब्याज दरों में कटौती की है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… कल दुनिया के टॉप-10 सबसे अमीर कौन रहे यह भी देख लीजिए… कल के शेयर मार्केट और सोना-चांदी का हाल जान लीजिए… पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस सिलेंडर की लेटेस्ट कीमत जान लीजिए…

  • फोनपे IPO के लिए अगस्त में ड्राफ्ट पेपर्स फाइल करेगी:इश्यू से ₹13,014 करोड़ जुटाने का प्लान, इससे वैल्यूएशन ₹1.30 लाख करोड़ होने की उम्मीद
    on 23/06/2025 at 11:39 AM

    अमेरिकी रिटेल दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट की डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे अपने IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) के लिए अगस्त में सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर्स (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस यानी DRHP) फाइल कर सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स के मुताबिक, फोनपे अपने IPO के जरिए 1.5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 13,014 करोड़ रुपए जुटाने की प्लानिंग कर रही है। इस IPO से भारत की डिजिटल पेमेंट कंपनी फोनपे की वैल्यूएशन करीब 15 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1.30 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। फोनपे ने अपने IPO को मैनेज करने के लिए बड़े नामों को चुना है, जिनमें कोटक महिंद्रा कैपिटल, जेपी मॉर्गन चेस, सिटीग्रुप और मॉर्गन स्टेनली शामिल हैं। IPO से पहले नाम बदलकर फोनपे लिमिटेड किया 2 महीने पहले फोनपे ने खुद को प्राइवेट से पब्लिक कंपनी में बदला है। कंपनी ने 16 अप्रैल को प्रमोटर्स की जनरल मीटिंग में फोनपे प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर फोनपे लिमिटेड कर दिया है। ये प्रोसेस भारतीय शेयर बाजार में लिस्टिंग के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। फोनपे ने फरवरी में IPO की प्लानिंग शुरू की थी। इससे पहले कंपनी ने दिसंबर 2022 में सिंगापुर से भारत में अपना मुख्यालय शिफ्ट किया था। इसके साथ ही कंपनी ने अपने नॉन-पेमेंट बिजनेस को अलग सब्सिडियरी कंपनियों बांट दिया था। बाजार में फोनपे की स्थिति भारत में UPI का बाजार तेजी से बढ़ा है, लेकिन अब इसकी ग्रोथ धीमी हो रही है। मई 2025 में UPI ने 18.68 बिलियन ट्रांजैक्शंस रिकॉर्ड किए, जिनकी वैल्यू 25.14 लाख करोड़ रुपए थी। फोनपे और गूगल पे मिलकर UPI ट्रांजैक्शंस का 80% से ज्यादा हिस्सा संभालते हैं, जबकि पेटीएम जैसे अन्य प्लेयर्स पीछे हैं। फोनपे के सामने क्या चुनौतियां हैं? फोनपे की कमाई का ज्यादातर हिस्सा पेमेंट्स से आता है, जिसके चलते IPO से पहले उसकी वैल्यूएशन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उदाहरण के लिए पेटीएम की मार्केट वैल्यू 6.5 बिलियन डॉलर है और फोनपे की तुलना उससे हो सकती है। साथ ही UPI ट्रांजैक्शंस पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू करने की मांग को सरकार ने ठुकरा दिया है, जिससे फिनटेक कंपनियों को रेवेन्यू बढ़ाने में चुनौती मिल सकती है। फोनपे के लिए आगे की राह फोनपे का यह IPO प्लान भारत के फिनटेक सेक्टर में एक बड़ा कदम है। अगर यह IPO सफल होता है, तो यह कंपनी को और विस्तार करने और नए क्षेत्रों में निवेश करने का मौका देगा। साथ ही वॉलमार्ट की मजबूत बैकिंग और फोनपे की बाजार में पकड़ इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बना सकती है। क्या है फोनपे? फोनपे भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए डिजिटल पेमेंट की दुनिया में सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक है। मई 2025 में फोनपे ने 8.68 बिलियन ट्रांजैक्शंस प्रोसेस किए, जिनकी कुल वैल्यू 12.56 लाख करोड़ रुपए थी। यह UPI मार्केट का लगभग आधा हिस्सा है। कंपनी के 60 करोड़ यूजर्स हैं और यह रोजाना 31 करोड़ ट्रांजैक्शंस को हैंडल करती है। फोनपे न सिर्फ पेमेंट्स में बल्कि क्रेडिट, इंश्योरेंस और स्टॉक-ब्रोकिंग जैसी फाइनेंशियल सर्विसेज में भी कदम रख चुकी है, लेकिन इसकी कमाई का 95% हिस्सा अभी भी पेमेंट्स से आता है।

  • LIC हाउसिंग फाइनेंस का होम लोन 0.50% सस्ता हुआ:अब 7.50% इंटरेस्ट पर मिलेगा कर्ज, यहां समझें EMI कितनी कम हो जाएगी
    on 23/06/2025 at 11:03 AM

    हाउसिंग फाइनेंस ने होम लोन की ब्याज दरों में 0.50% की कटौती की है। अब LIC की होम लोन की ब्याज दर सालाना 7.50% से शुरू होंगी। RBI ने हाल ही में रेपो रेट को 6.00% से घटाकर 5.50% किया है। जिसके बाद बैंकों ने भी लोन की ब्याज दरों में कटौती शुरू कर दी है। इससे पहले SBI, यूनियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी लोन की ब्याज दरों में कटौती की है। इस ब्याज दर कटौती का फायदा उन सभी लोगों को होगा, जिनके लोन रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) से जुड़े हैं… अगर रेपो रेट कम होता है, तो RLLR भी घट जाता है RLLR के आधार पर बैंक अपने लोन की ब्याज दर तय करते हैं। अगर रेपो रेट कम होता है, तो RLLR भी कम हो जाता है, और लोन की ब्याज दरें भी घट जाती हैं। RLLR में बैंक रेपो रेट के ऊपर अपना एक मार्जिन जोड़ता है, ताकि उनके खर्चे और मुनाफा कवर हो सके। उदाहरण: अब दो जरूरी सवालों के जवाब… 1. सवाल: क्या पुराने और नए लोन दोनों पर समान फायदा मिलेगा? जवाब: RBI के नियमों के मुताबिक, फ्लोटिंग रेट लोन को रेपो रेट के हिसाब से समय-समय पर रीसेट करना जरूरी है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने पहले से लोन लिया है, उनकी ब्याज दर अपने आप कम हो जाएगी, क्योंकि बैंक को रेपो रेट के घटने का फायदा देना पड़ता है। लेकिन, नए लोन लेने वालों को शायद पूरा फायदा न मिले। ऐसा इसलिए, क्योंकि बैंक अपने मुनाफे को बचाने के लिए रेपो रेट के ऊपर जो अतिरिक्त मार्जिन यानी, स्प्रेड जोड़ते हैं, उसे बढ़ा सकते हैं। 2. सवाल: क्या पुराने लोन वाले फिक्स्ड से फ्लोटिंग में स्विच कर सकते हैं? जवाब: अगर आपका लोन MCLR या फिक्स्ड रेट से जुड़ा है, तो आप बैंक से बात करके इसे RLLR में स्विच कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ फीस देनी पड़ सकती है। अगर आपका लोन अभी शुरुआती सालों में है, तो स्विच करने से लंबे समय में ब्याज की बचत हो सकती है। इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी। दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। अब तीसरी बार दरों में कटौती हुई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई हैं। होम लोन लेते समय इन 3 बातों का रखें ध्यान 1. प्री-पेमेंट पेनल्टी की जानकारी जरूर लें कई बैंक समय से पहले लोन अदा करने पर पेनल्टी लगाते हैं। ऐसे में बैंकों से इस बारे में पूरी डिटेल ले लें, क्योंकि समय से पहले लोन अदा करने पर बैंकों को उम्मीद के मुताबिक कम ब्याज मिलता है। ऐसे में उनकी ओर से कुछ टर्म एडं कंडीशन लगाए जाते हैं। इसलिए होम लोन लेते वक्त इस बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें। 2. अपने सिबिल स्कोर का ध्यान रखें सिबिल स्कोर से व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री का पता चलता है। पर्सनल लोन के मामले में बैंक आवेदक का सिविल स्कोर जरूर देखते हैं। क्रेडिट स्कोर कई खास क्रेडिट प्रोफाइलिंग कंपनियों की तरफ से तय किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि आपने पहले लोन लिया है या क्रेडिट कार्ड आदि का इस्‍तेमाल किस प्रकार किया है। किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर रीपेमेंट हिस्ट्री, क्रेडिट इस्तेमाल का अनुपात, मौजूदा लोन और बिलों के समय पर पेमेंट से पता चलता है।यह स्कोर 300-900 की रेंज में होता है, लेकिन 700 या उससे ज्यादा के स्कोर को कर्जदाता अच्छा मानते हैं। 3. ऑफर्स का रखें ध्यान बैंक समय- समय पर लोन लेने वालों को बेहतर ऑफर्स उपलब्ध कराते रहते हैं। ऐसे में आप लोन लेने से पहले सभी बैंकों के ऑफर्स के बारे में पता कर लें। क्योंकि जल्दबाजी में लोन लेना आपके लिए गलत साबित हो सकता है। लोन लेने से पहले सही से छानबीन कर लें।

  • भारत में सस्ते दामों पर मक्का-सोयाबीन बेचने पर अड़ा अमेरिका:इससे भारतीय किसानों को नुकसान; भारत-अमेरिका ट्रेड डील बीच में अटकी
    on 23/06/2025 at 8:07 AM

    भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई है। ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट भारत में सस्ते बिकें। वहीं भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं घटाना चाहती। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना मुश्किल हो जाएगी। ऐसे में डील पर असमंजस बना हुआ है। 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले इसका हल निकलना मुश्किल लग रहा है। यहां सवाल जवाब में जानें ट्रेड डील नहीं होने पर भारत को क्या नुकसान होगा… सवाल: ये ट्रेड डील क्या है और इसका मकसद क्या है? जवाब: ये भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम करके व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। भारत चाहता है कि उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और कुछ इंजीनियरिंग सामान पर अमेरिका में जीरो टैक्स लगे, जबकि अमेरिका अपने कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए भारत में बाजार चाहता है। सवाल: इस डील की डेडलाइन कब है? जवाब: डील को 9 जुलाई 2025 तक फाइनल करने की कोशिश है। अगर इस तारीख तक कोई सीमित समझौता नहीं हुआ, तो भारत के सामान पर अमेरिका 26% शुल्क लगा सकता है। सवाल: अमेरिका की मांगें क्या हैं? जवाब: अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वो मेडिकल डिवाइसेज पर टैरिफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों, और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है। सवाल: भारत ने मांगों के जवाब में क्या कहा है? जवाब: भारत ने अमेरिका की मांगों को मानने से इनकार कर दिया, खासकर कृषि और डेयरी बाजार खोलने की मांग को। भारत का कहना है कि इससे लाखों गरीब किसानों को नुकसान होगा। भारतीय उत्पाद, अमेरिकी उत्पादों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे। भारत ने कहा है कि अगर अमेरिका ने स्टील और ऑटोमोबाइल पर शुल्क लगाए, तो हम भी जवाबी शुल्क लगाएंगे। सवाल: भारत डील में अपनी तरफ से क्या चाहता है? जवाब: भारत चाहता है कि अमेरिका उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और ऑटो पार्ट्स पर शुल्क हटाए या कम करे। भारत ने शुरू में शून्य शुल्क की मांग की थी, लेकिन अब कम से कम 10% बेसलाइन टैरिफ पर सहमति की उम्मीद है, जो अमेरिका सभी देशों पर लागू कर रहा है। सवाल: अगर डील नहीं हुई तो क्या होगा? जवाब: अगर 9 जुलाई तक कोई डील नहीं हुई, तो अमेरिका भारत के सामान पर 26% शुल्क लगा सकता है, जिसमें टेक्सटाइल, दवाइयां, और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा। भारत भी जवाब में अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ा सकता है, जिससे व्यापार तनाव बढ़ सकता है। सवाल: डील में अब तक क्या बातचीत हुई है? जवाब: बातचीत अभी चल रही है। जून 2025 में दिल्ली में हुई चर्चाओं में डिजिटल ट्रेड और कस्टम्स सुविधा जैसे मुद्दों पर सहमति बनी। भारत कुछ कृषि उत्पादों और गाड़ियों पर शुल्क कम करने पर विचार कर रहा है, बशर्ते अमेरिका भारत के टेक्सटाइल और जूते जैसे सामानों पर 10% शुल्क दे। लेकिन GM फूड और डेयरी जैसे मुद्दों पर रुकावट बनी हुई है। सवाल: डील में आगे क्या हो सकता है? जवाब: भारत और अमेरिका दोनों डील को जल्दी फाइनल करना चाहते हैं, लेकिन भारत अपने किसानों और स्थानीय उद्योगों की रक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। अगर डील नहीं हुई, तो भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका के स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ के खिलाफ शिकायत कर सकता है। दोनों देश शायद तीन चरणों में डील को पूरा करने की कोशिश करेंगे, जिसमें पहला चरण जुलाई तक, दूसरा सितंबर-नवंबर तक, और तीसरा अगले साल हो सकता है।

  • सोना ₹657 बढ़कर ₹99,348 पर पहुंचा:चांदी ₹1 लाख 7 हजार किलो बिक रही, गोल्ड इस साल ₹1 लाख 3 हजार तक जा सकता है
    on 23/06/2025 at 6:51 AM

    सोने-चांदी के दाम में आज यानी 23 जून को बढ़त रही। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार 24 कैरेट सोने का दाम ₹657 बढ़कर ₹99,348 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले सोना ₹98,691 पर था। वहीं चांदी की कीमत ₹288 बढ़कर ₹1,07,063 प्रति किलोग्राम हो गई है। इससे पहले ये ₹1,06,775 पर थी। वहीं 18 जून को चांदी ने ₹1,09,550 और सोने ने ₹99,454 का ऑल टाइम हाई बनाया था। भोपाल सहित 4 महानगरों में 10 ग्राम सोने की कीमत इस साल अब तक ₹23,186 महंगा हुआ सोना इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 23,186 रुपए बढ़कर 99,348 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 21,046 रुपए बढ़कर 1,07,063 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था। इस साल ₹1 लाख 3 हजार तक जा सकता है सोना केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि जियो पॉलिटिकल टेंशन बने हुए हैं। इजराइल और ईरान के बीच भी जंग शुरू हो गई है। इससे गोल्ड को सपोर्ट मिल रहा है। इससे गोल्ड की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में इस साल सोना 1 लाख 3 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। वहीं चांदी इस साल 1 लाख 30 हजार रुपए तक जा सकती है। सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।

  • पेट्रोल ₹120 लीटर तक पहुंच सकता है:वजह- तेल सप्लाई का सबसे बड़ा रास्ता बंद कर सकता है ईरान; क्रूड ऑयल 80 डॉलर हुआ
    on 23/06/2025 at 5:51 AM

    ईरान की संसद ने हाल ही में अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया है। अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये तेल व्यापार का अहम रास्ता है। इस खबर के सामने आने के बाद क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट करता है। अगर क्रूड ऑयल के दाम लंबे समय तक बढ़े रहते हैं, तो तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं। इस मसले को 6 सवाल-जवाब में समझते हैं… सवाल 1: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज क्या है और ये इतना अहम क्यों है? जवाब: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज एक तंग समुद्री रास्ता है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। ये सिर्फ 33 किलोमीटर चौड़ा है, लेकिन दुनिया का 20-25% कच्चा तेल और 25% नेचुरल गैस इसी रास्ते से गुजरती है। सऊदी अरब, इराक, कुवैत, कतर जैसे देशों से तेल के टैंकर इसी रास्ते से दुनियाभर में जाते हैं। भारत के लिए ये रास्ता इसलिए खास है, क्योंकि हमारा 40% से ज्यादा तेल इसी रास्ते आता है। अगर ये बंद हो जाए, तो तेल की सप्लाई में रुकावट आ सकती है। सवाल 2: ईरान ने ये रास्ता बंद करने का फैसला क्यों लिया? जवाब: ईरान और इजराइल के बीच तनाव पहले से चल रहा था, 22 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- नतांज, फोर्डो और इस्फहान पर हवाई हमले किए। इससे नाराज ईरान की संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया। हालांकि, इस फैसले को लागू करने के लिए ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मंजूरी चाहिए। ईरान का कहना है कि अगर उसे और परेशान किया गया, तो वो इस रास्ते को बंद करके वैश्विक तेल सप्लाई को बाधित कर सकता है। सवाल 3: क्या भारत में पेट्रोल-डीजल महंगे हो जाएंगे? जवाब: अगर ये रास्ता बंद होता है, तो तेल की सप्लाई में दिक्कत आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें 30-50% तक बढ़ सकती हैं। अभी ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, लेकिन ये 120-150 डॉलर तक जा सकता है। इसका असर भारत पर भी हो सकता है: सवाल 4: क्या भारत तेल के लिए पूरी तरह स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर निर्भर है? जवाब: नहीं, भारत ने हाल के वर्षों में अपनी तेल सप्लाई को काफी हद तक डायवर्सिफाई किया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक, भारत में रोजाना 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत है, जिसमें से सिर्फ 1.5-2 मिलियन बैरल ही स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से आता है। बाकी 4 मिलियन बैरल रूस, अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों से आता है। भारत ने जून 2025 में रूस से 2.16 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन आयात किया। ईरान से भारत ने 2019 के बाद तेल आयात लगभग बंद कर दिया है, क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत जैसे देशों से 40% तेल इस रास्ते से आता है। अगर स्ट्रेट बंद हुआ तो वैकल्पिक रास्तों जैसे केप ऑफ गुड होप से तेल लाना पड़ेगा, जो 7-13 दिन ज्यादा लेता है और प्रति यात्रा 1 मिलियन डॉलर (8.66 करोड़) अतिरिक्त खर्च होगा। सवाल 5: भारत सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कर रही है? जवाब: भारत सरकार इस मसले पर पूरी नजर रखे हुए है। हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास कई हफ्तों का तेल भंडार है और तेल कंपनियां कई रास्तों से सप्लाई ले रही हैं। उन्होंने कहा- “हम पिछले दो हफ्तों से मिडिल ईस्ट के हालात पर नजर रख रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने तेल सप्लाई को डायवर्सिफाई किया है, और अब हमारा बड़ा हिस्सा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से नहीं आता। हमारी तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक है, और हम नागरिकों को ईंधन की स्थिर सप्लाई सुनिश्चित करेंगे।” रणनीतिक भंडार: भारत के पास पुडुर (2.25 मिलियन मीट्रिक टन), विशाखापट्टनम (1.33 मिलियन मीट्रिक टन) और मेंगलुरु (1.5 मिलियन मीट्रिक टन) में रणनीतिक तेल भंडार हैं। सवाल 6: क्या स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करना इतना आसान है? जवाब: नहीं, इसे पूरी तरह बंद करना आसान नहीं। स्ट्रेट में दो-दो मील की शिपिंग लेन हैं, और इसे बंद करने के लिए ईरान को बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई करनी होगी, जैसे टैंकरों पर हमला करना या समुद्र में माइंस बिछाना। अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देश इसे खुला रखने के लिए तुरंत जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान शायद इसे पूरी तरह बंद न करे, क्योंकि इससे उसके दोस्त देश जैसे चीन को भी नुकसान होगा। फिर भी, आंशिक रुकावट भी कीमतों को बढ़ा सकती है।

बजट 2025 | दैनिक भास्कर Budget-2025 Hindi News; Read Latest Union Budget News, Opinion Articles and Updates, Finance Minister Income Tax Announcement and Key Points on Budget 2025 at Dainik Bhaskar.

  • बजट सत्र:भाजपा ने सोनिया गांधी-पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया; दोनों ने राष्ट्रपति पर विवादित कमेंट किया था
    on 02/02/2025 at 10:54 PM

    भाजपा सांसदों ने सोमवार को कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू पर किए सोनिया और पप्पू यादव के कमेंट पर नोटिस दिया गया है। भाजपा के नोटिस में लिखा गया- सोनिया गांधी-पप्पू यादव ने सर्वोच्च पद की गरिमा को कम करने के इरादे से भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय शब्दों का उपयोग किया है। इसलिए संसदीय विशेषाधिकार, नैतिकता और मर्यादा के उल्लंघन का नोटिस पेश किया। दरअसल, 31 जनवरी को बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर ने दोनों सदनों को संबोधित किया था। उनके अभिभाषण पर सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘बेचारी’ शब्द इस्तेमाल किया था। सोनिया ने कहा था कि अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक गईं थीं। बह बेचारी मुश्किल से बोल पा रही थीं। पप्पू यादव ने टिप्पणी में कहा था कि राष्ट्रपति रबर स्टैंप की तरह हैं। वे बस लव लेटर पढ़ती रहती हैं। वहीं, राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के भाषण को बोरिंग बताया था। पप्पू यादव बोले- भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है विशेषाधिकार हनन का नोटिस पर पप्पू यादव ने कहा, ‘भारत के राष्ट्रपति 140 करोड़ भारतीयों के लिए एक सम्मानजनक पद है। भाजपा या किसी अन्य पार्टी की आलोचना करना राष्ट्रपति की आलोचना नहीं है। भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है। मैंने एक निश्चित संदर्भ में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बारे में बयान दिया था। अगर मेरे किसी बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूं और माफी भी मांगता हूं।’ उन्होंने कहा कि भाजपा प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के खिलाफ भी अपमानजनक बयान देते थे। मेरा राष्ट्रपति की कुर्सी का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति वही बोलेंगी जो सरकार को कहना है, इसलिए मैंने कहा कि यह भाजपा का प्रेम पत्र था। संसद की आज की कार्यवाही पढ़ने के लिए ब्लॉग से गुजर जाइए…

  • आज का एक्सप्लेनर:ओल्ड टैक्स रिजीम को मौत का इंजेक्शन, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसे खर्च करें; क्या इससे नुकसान होगा
    on 01/02/2025 at 11:46 PM

    2025 के बजट में 12 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स की घोषणा ने सारी महफिल लूट ली। लेकिन ये छूट सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों के लिए है। ओल्ड टैक्स रिजीम वालों को राहत देना तो दूर, वित्तमंत्री ने जिक्र तक नहीं किया। क्या बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाली ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म हो जाएगी, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा खर्च करें और इसका क्या इम्पैक्ट होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: क्या ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म कर दिया जाएगा? जवाब: भारत में दो तरह की टैक्स व्यवस्था है… पहली- पहले से चली आ रही ओल्ड टैक्स रिजीम। जिसमें HRA, LTA, 80C और 80D जैसी तमाम छूट देकर बचत और निवेश को बढ़ावा दिया जाता है। दूसरी- न्यू टैक्स रिजीम, जिसे सरकार ने 2020 में लॉन्च किया था। इसमें छूट न देकर टैक्स रेट कम किए गए, जिससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचे। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक 2025 के बजट में ओल्ड टैक्स रिजीम को सही मायने में इंजेक्शन दे दिया है। वो धीरे-धीरे अपनी मौत मर जाएगा। न्यू टैक्स वालों को 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं। इस घोषणा के बाद पुरानी टैक्स रिजीम में बने रहने का कोई आकर्षण नहीं बचा है। सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में पुराने टैक्स को खत्म करने की समय सीमा दी जा सकती है। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद आयोजित की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, देशभर के 75% टैक्सपेयर पहले ही पुरानी टैक्स व्यवस्था को छोड़कर नई टैक्स व्यवस्था में आ गए हैं। हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे सभी टैक्सपेयर ऐसा करेंगे। सवाल-2: सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम क्यों खत्म करना चाहती है? जवाब: एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन 4 बड़ी वजहों से सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करना चाहती है… 1. टैक्स स्ट्रक्चर को आसान करना: ओल्ड टैक्स रिजीम बेहद कॉम्प्लेक्स है। इसमें 80C, 80D और HRA जैसी कई छूट और कटौती का फायदा मिलता था। इससे टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरना बहुत मुश्किल और बोझिल है। सरकार को भी इस रिजीम के साथ काम करने में दिक्कतें आती हैं। 2. टैक्स चोरी रोकना: सरकार का मानना है कि कम छूट और कम कटौती से टैक्स चोरी या हेरफेर को रोका जा सकता है। टैक्स से बचने के लिए लोग फर्जीवाड़ा करते हैं और झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं। 3. ज्यादा लोगों से टैक्स भरवाना: न्यू टैक्स रिजीम में नियम-कानून कम हैं। नई रिजीम में आसान सुविधाएं मिलने से ज्यादा लोग टैक्स भरेंगे, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी। 4. नई रिजीम का मैनेजमेंट सस्ता: पुरानी टैक्स रिजीम में कई छूटों और कटौतियों पर नजर रखने के लिए ज्यादा अधिकारियों की जरूरत होती है। नई रिजीम से मैनपावर कम किया जा सकेगा। सवाल-3: ओल्ड टैक्स रिजीम में बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाले क्या प्रावधान हैं? जवाबः पुरानी व्यवस्था निवेश और बचत को बढ़ावा देने वाली है। कुछ प्रमुख प्रावधान… सवाल-4: ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म होने से क्या इम्पैक्ट पड़ेगा? जवाब: ओल्ड टैक्स रिजीम के खत्म होने से 3 बड़े इम्पैक्ट पड़ सकते हैं… 1. बचत और निवेश की जगह खर्च बढ़ेगा टैक्स एक्सपर्ट सीए बलवंत जैन बताते हैं कि अब करीब 98% टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनेंगे और सरकार भी यही चाहती है। ऐसा होने से लोग इन्वेस्ट करने के बजाय खर्च ज्यादा करेंगे। इससे GDP और प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सरकार का GST कलेक्शन बढ़ेगा। लेकिन इसका नेगेटिव असर भी होगा। दरअसल, ओल्ड टैक्स रिजीम में छूट के लिए लोग PF, NPS, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश करते थे, जो उनके रिटायरमेंट के बाद काम आते थे। लेकिन न्यू टैक्स रिजीम चुनने वाली आज की वर्किंग जनरेशन खर्च करने पर ज्यादा भरोसा करती है। ऐसे में उनका रिटायरमेंट प्लान तैयार नहीं होगा। यानी इनका भविष्य खतरे में रह सकता है। 2. मिडिल क्लास की जेब पर बुरा असर पुरानी रिजीम के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलने के बहुत से इन्वेस्टमेंट ऑप्शन था। जो लोगों को टैक्स बचाने में मदद करते थे। PPF, ELSS और NSC जैसे ऑप्शन से टैक्सपेयर्स कई हद तक टैक्स बचा लेते थे। अब नई रिजीम के तहत यह छूट नहीं मिलेगी। इससे आम आदमी की सेविंग्स पर बुरा असर पड़ेगा। 3. सामाजिक कामों में कमी होगी कम छूट के साथ धर्मार्थ दान कम हो जाएगा यानी दक्षिणा या सोशल वर्क के लिए जो पैसा दिया जाता था, वो अब बंद हो जाएगा। पुरानी टैक्स रिजीम में दान में दिए हुए पैसे पर टैक्स नहीं लगता था। इससे NGO और सोशल वर्किंग के लिए पैसा नहीं मिलेगा। हालांकि, लोग नई रिजीम के बाद दान देना चाहते हैं, तो यह टैक्स के दायरे में आएगा। सवाल-5: सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसा खर्च करें? जवाब: सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक 2025 के बजट में सरकार ने कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं Virtuous Cycle यानी सुचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इस सुचक्र से FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। सवाल-6: क्या अभी भी कोई ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना चाहेगा? जवाब: इसे आसान भाषा में समझने के लिए दोनों टैक्स के बीच अंतर को समझना होगा। न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री है, लेकिन ओल्ड रिजीम ज्यों की त्यों रखी गई है। ओल्ड रिजीम में पीपीएफ, एनएससी, लाइफ इंश्योरेंस और एनपीएस जैसी चीजों में इन्वेस्ट करने पर टैक्स में छूट मिलती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कोई इंसान हाई सैलरी कैटेगरी में आता है और उसे कंपनी से HRA जैसी सुविधा मिलती है, तो कुछ केस में ओल्ड टैक्स रिजीम अभी भी बेहतर है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान के मुताबिक अगर आपकी सालाना आय ₹40 लाख है और HRA ₹12 लाख तक है, तो पुरानी व्यवस्था अभी भी फायदेमंद है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या 1% से भी कम होगी। ————– बजट से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें बजट 2025: ₹12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री, चुनाव वाली दिल्ली में 40 लाख करदाता; 77 मिनट के भाषण में 9 बार बिहार सीतारमण ने शनिवार को ₹50.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया। बजट में नौकरीपेशा के लिए 12.75 लाख और बाकी करदाताओं के लिए 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। ऐसा कर सरकार ने मध्यम वर्ग को साधा और दिल्ली को भी जहां 4 दिन बाद 5 फरवरी को वोटिंग है। पूरी खबर पढ़ें…

  • बजट 2025- एक्सपर्ट एनालिसिस:12 लाख तक टैक्स नहीं, फिर 10% स्लैब क्यों; 1 लाख करोड़ का घाटा उठाकर भी फायदे में सरकार
    on 01/02/2025 at 11:44 PM

    वित्त मंत्री का 1 घंटे 17 मिनट लंबा बजट भाषण और करीब 50 लाख करोड़ रुपए का बजट। आम लोगों के लिए इसे पूरी तरह समझना बेहद मुश्किल है। इसीलिए भास्कर के 3 एक्सपर्ट्स ने आसान भाषा में इस बजट की 8 जरूरी बातें डिकोड की हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए… 1. 12.75 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं, लेकिन शर्तें लागू* ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगें मिले न भीख’… इस बार के बजट में मिडिल क्लास को वो मोती मिल ही गया है। 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। लेकिन इसमें 2 शर्तें लागू हैं… i. ये बदलाव सिर्फ नए टैक्स रिजीम वालों के लिए हुआ है। यानी जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा। ii. ये फायदा खासतौर पर उन्हें मिलेगा, जिनकी इनकम सैलरी से आती है। अगर आपने कैपिटल गेन किया है यानी शेयर मार्केट में पैसा लगाया, म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया, घर की खरीद-फरोख्त की और उस पर टैक्स की देनदारी है, तो ये व्यवस्था लागू नहीं होगी। इन आंकड़ों को देखने के बाद मन में ये सवाल उठ सकता है कि अगर 12 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा, तो फिर 4-12 लाख रुपए तक की कमाई पर 5 से 10 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान क्यों है। इसे आसान भाषा में समझें तो पहले 7 लाख तक की आय पर 87A की तहत जो छूट मिलती थी, उसकी लिमिट बढ़ाकर 12 लाख कर दी गई है। 2. सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए का घाटा होगा इनकम टैक्स पर हुए ऐलान के बाद केंद्र सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए, वहीं इनडायरेक्ट टैक्स में 2,600 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान हो सकता है। हालांकि इनमें से एक बड़ा हिस्सा वापस सरकार के पास आ जाएगा। उदाहरण के लिए- अगर टैक्स में बदलाव से आपके 10 हजार रुपए बचे। इनमें से आपने 8 हजार रुपए की शॉपिंग कर ली, तो GST, कस्टम ड्यूटी जैसी चीजों से इसका एक हिस्सा वापस सरकार के पास पहुंच जाएगा। इसलिए सरकार को बहुत नुकसान नहीं होगा। 3. लोगों के हाथ में पैसे आएंगे, वो ज्यादा खर्च करेंगे तो इकोनॉमी बूस्ट होगी देश में 85% लोग 12 लाख रुपए से कम कमाते हैं। टैक्स को लेकर हुए ऐलान के बाद लोगों के पास पैसे बचेंगे और लोग यह पैसे दूसरी चीजों पर खर्च करेंगे। इससे FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। ये बजट ऐसा है जिसमें कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं virtuous cycle यानी सूचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का यदि आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इसी को अर्थशास्त्र में सूचक्र यानी virtuous cycle कहते हैं। 4. ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करने के संकेत इस बार के बजट में पुराने टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने इस बारे में संसद में कोई चर्चा भी नहीं की। पुराने टैक्स रिजीम में सेक्शन 80C के तहत छूट और बाकी डिडक्शन हैं, लेकिन आज के ऐलान के बाद न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा प्रभावी लग रही है। ओल्ड टैक्स रिजीम को लिटरली मौत का इंजेक्शन दे दिया है। जिन लोगों HRA वगैरह ज्यादा मिलता है, उनको ओल्ड टैक्स रिजीम में फायदा मिलेगा। वर्ना 98%-99% लोग न्यू टैक्स रिजीम में आ जाएंगे। आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में ये हो सकता है कि पुराने टैक्स को खत्म करने के लिए कोई समय सीमा दे दी जाए। चाहे वो 2, 3 या 4 साल की हो। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम। 5. इनकम टैक्स के अलावा भी दो बड़ी घोषणाएं- TDS और TCS इनकम टैक्स के अलावा दो और महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं- TDS यानी Tax Deducted at Source और TCS यानी Tax Collected at Source। धारा 194A के तहत सीनियर सिटिजन को पहले 50 हजार रुपए तक की इंट्रेस्ट इनकम पर TDS लगता था, जिसे अब बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है। वहीं, अन्य लोगों के लिए ये इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स 40,000 से बढ़ा कर 50,000 कर दिया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि TDS के जरिए जो पैसा चला जाया करता था और साथ ही साथ आपका इनकम टैक्स भले ही न बनता हो पर रिफंड पाने के लिए जो आप रिटर्न दाखिल करते थे। उसकी आपको जरूरत नहीं पड़ेगी। एक तरफ आपके लिए रिटर्न आसान हो गया और दूसरी तरफ आपके हाथ में पैसे आ जाएंगे। 6. सरकार ने कृषि को ‘सेक्टर ऑफ फ्यूचर’ माना, कई बड़े ऐलान किए एग्रीकल्चर को लेकर सरकार ज्यादा फोकस कर रही है। इकोनॉमी सर्वे को देखा जाए तो एग्रीकल्चर को ‘सेक्टर ऑफ द फ्यूचर’ यानी भविष्य का क्षेत्र कहा गया है। सरकार ने दाल के लिए मिशन लॉन्च करने की बात कही है। ये बहुत जरूरी है, क्योंकि देश में दाल और सरसों तेल बड़े पैमाने पर इम्पोर्ट किए जाते हैं। आने वाले समय में किसान धान, गेहूं के बाद इन फैसलों की पैदावार बढ़ाने पर जोर देंगे। इसके अलावा वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत मिलने वाले लोन की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का ऐलान किया है। इसका फायदा 7.7 करोड़ किसानों को मिलेगा। 7. बिहार में इस साल चुनाव, इसलिए बाकी राज्यों से ज्यादा मिला बिहार के लिए बजट ज्यादा सुविधाजनक रहा है इसमें कोई शक नहीं है। बजट में बिहार के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, पटना IIT का विस्तार, मखाना के लिए अलग से बोर्ड बनाना और मिथिलांचल में बाढ़ से निपटने के लिए नई योजना का ऐलान किया गया है। बिहार में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। साथ ही केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है, इस कारण पहले ही उम्मीद थी बिहार के लिए कुछ खास ऐलान हो सकता है। 8. पूंजीगत खर्च उम्मीद के मुताबिक नहीं, ये निराशाजनक इस बार के बजट का फोकस ‘कंजम्प्शन लेड ग्रोथ’ है। इसलिए पूंजीगत खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं दिख रही है। ये विकास की जरूरतों के हिसाब से कम है। ऐसा लगता है कि सरकार ने ज्यादातर ध्यान ये दिया है कि अगर अभी खपत बढ़ जाएगी तो उससे आगे पूंजीगत खर्च बढ़ाने का रास्ता मिल जाएगा। ——– एक्सपर्ट पैनल… शिशिर सिन्हाः ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ के एसोसिएट एडिटर हैं। मीडिया स्टूडेंट्स को बिजनेस जर्नलिज्म भी पढ़ाते हैं। स्वाति कुमारीः पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म Bwealthy की फाउंडर हैं। कई मीडिया हाउसेज में बतौर बिजनेस जर्नलिस्ट काम कर चुकीं। बलवंत जैनः टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट​​​​​ ——- बजट से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए- क्लिक करें

  • बजट 2025 – 10 पॉइंट्स में:फोन-EV सस्ते होंगे, बिहार में 3 नए एयरपोर्ट बनेंगे; टैक्स फ्री इनकम की लिमिट अब ₹12 लाख
    on 01/02/2025 at 11:30 PM

    इस बार के बजट में सरकार ने 10 बड़ी घोषणाएं की हैं। यहां पॉइंट में पढ़िए पूरा बजट… 1. इनकम टैक्स 2. सस्ता-महंगा 3. किसान 4. कारोबार 5. एजुकेशन 6. मकान 7. टूरिज्म और कनेक्टिविटी 8.हेल्थ 8. इंफ्रास्ट्रक्चर 9. महिला 10. न्यूक्लियर मिशन

  • बजट 2025 – सस्ता-महंगा:इलेक्ट्रिक कारें, फोन, LED, 36 जीवनरक्षक दवाएं सस्ती; सोना-चांदी में बदलाव नहीं
    on 01/02/2025 at 11:28 PM

    सरकार की बजट घोषणाओं के बाद कुछ चीजें सस्ती होंगी, कुछ के दाम बढ़ेंगे। लेकिन सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नीचे देखिए सस्ते-महंगे सामानों की सूची… अन्य आइटम जो सस्ते होंगे: 40,000 डॉलर से ज्यादा कीमत या 3,000 सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें और पूरी तरह से निर्मित (सीबीयू) यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 सीसी से अधिक नहीं है। अन्य आइटम जो महंगे होंगे: स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, पीवीसी फ्लेक्स शीट्स, पीवीसी फ्लेक्स बैनर, नीटिंग प्रोसेसे से बना कपड़ा दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम होगी बीते एक साल में क्या सस्ता और क्या महंगा… 3 सवालों में जानिए बजट में कैसे घटते-बढ़ते हैं सामानों के दाम सवाल 1: बजट में प्रोडक्ट सस्ते-महंगे कैसे होते हैं? जवाब: बजट में कोई भी प्रोडक्ट सीधे तौर पर सस्ता-महंगा नहीं होता। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी जैसे इनडायरेक्ट टैक्स के घटने-बढ़ने से चीजें सस्ती-महंगी होती है। ड्यूटी के बढ़ने और घटने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, सरकार ने बजट में ऐलान किया कि वो गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी में 10% की कटौती कर रही है। इसका असर ये होगा कि विदेश से सोना मंगाना 10% सस्ता हो जाएगा। यानी, सोने की ज्वेलरी, बिस्किट, सिक्के की कीमतें कम हो जाएगी। सवाल 2: इनडायरेक्ट टैक्स क्या होता है? जवाब: टैक्सेशन को डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में बांटा गया है: i. डायरेक्ट टैक्स: इसे लोगों की आय या मुनाफे पर लगाया जाता है। इनकम टैक्स, पर्सनल प्रॉपर्टी टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। डायरेक्ट टैक्स का बोझ वह व्यक्ति ही वहन करता है जिस पर टैक्स लगाया गया है और इसे किसी और को पास नहीं किया जा सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) इसे गवर्न करती है। ii. इनडायरेक्ट टैक्स: इसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, GST, VAT, सर्विस टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। इनडायरेक्ट टैक्स को एक व्यक्ति से दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है। जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) गवर्न करती है। सवाल 3: पहले बजट में ही टीवी, फ्रिज, एसी जैसे सामानों के दाम घटते-बढ़ते थे, अब ऐसा क्यों नहीं होता? जवाब: दरअसल, सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी लागू किया था। जीएसटी के दायरे में लगभग 90% प्रोडक्ट आते हैं और GST से जुड़े सभी फैसले GST काउंसिल लेती है। इसलिए बजट में इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता है।

  • बजट 2025- इनकम टैक्स:12 लाख तक इनकम पर 60 हजार फायदा; नई टैक्स रिजीम वाले फायदे में, पुरानी जस की तस
    on 01/02/2025 at 11:25 PM

    बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दी गई है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया गया है। पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि नई टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपए तक की छूट इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के तहत दी गई है। यानी नई टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख तक की सालाना कमाई वालों पर 4-8 लाख रुपए पर लगने वाले 5% टैक्स और 8-12 लाख की कमाई पर लगने वाला 10% टैक्स सरकार माफ कर देगी। इससे टैक्सपेयर को 60 हजार रुपए का फायदा होगा। मतलब यह कि अगर किसी की कमाई सालाना 12 लाख रुपए से ऊपर होती है तो उसकी टैक्स की कैलकुलेशन में 4-8 लाख पर 5% टैक्स और 8-12 लाख पर 10% टैक्स भी जोड़ा जाएगा। वहीं सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल लाएगी। भास्कर इनकम टैक्स कैल्कुलेटर से जानिए आप पर कितना टैक्स बनेगा चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) सुनील जैन से जानिए, अब आपकी कमाई पर लगेगा कैसे और कितना टैक्स… कैपिटल गेन इनकम पर देना होगा टैक्स मान लीजिए आपकी कुल इनकम 12 लाख रुपए है, जिसमें से सैलरी और अन्य इनकम 8 लाख रुपए है, लेकिन कैपिटल गेन इनकम 4 लाख रुपए है, तो सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट केवल 8 लाख रुपये पर ही दी जाएगी। 4 लाख रुपए की कैपिटल गेन इनकम पर टैक्सपेयर्स को अलग से इनकम टैक्स देना होगा। इनकम टैक्स या टैक्स को लेकर ये 8 बड़े बदलाव भी हुए अब पुरानी टैक्स रिजीम को समझें पुरानी टैक्स रिजीम चुनने पर अभी भी आपकी 2.5 लाख रुपए तक की इनकम ही टैक्स फ्री रहेगी। हालांकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत आपको 5 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स देना होगा। पुरानी और नई टैक्स रिजीम से जुड़े 3 सवाल… सवाल 1: पुरानी और नई टैक्स रिजीम में क्या अंतर है? जवाब: नए टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 लाख रुपए कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन नहीं मिलते हैं। वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। सवाल 2: पुरानी टैक्स रिजीम में किस तरह की छूट मिलती है? जवाब: अगर आप EPF, PPF और इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्स स्‍कीम में निवेश करते हैं। तो आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से ये इनकम कम हो जाएगी। वहीं, मेडिकल पॉलिसी पर किए गए खर्च, होम लोन पर चुकाए गए ब्याज और नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश किए गए रुपए भी आपकी टैक्सेबल इनकम से घट जाते हैं। सवाल 3: पुरानी टैक्स रिजीम किन लोगों के लिए बेहतर है? जवाब: अगर आप निवेश और टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकती है। वहीं अगर आप कम टैक्स रेट और टैक्स डिडक्शन के झंझटों से बचना चाहते हैं तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए सही हो सकती है।