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- भारत में X के सब्सक्रिप्शन प्लान 47% तक सस्ते हुए:मंथली बेसिक प्लान अब ₹170 में मिलेगा; प्रीमियम ₹470 और प्रीमियम+ ₹3,000 में अवेलेबलon 11/07/2025 at 1:58 PM
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने भारत में सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में 47% तक की कटौती की है। कंपनी ने पहली बार अपने तीनों सब्सक्रिप्शन प्लान – बेसिक, प्रीमियम और प्रीमियम+ की कीमतों में बदलाव किया है। कंपनी का मंथली वेब और मोबाइल एप बेसिक प्लान अब 244 रुपए की जगह 170 रुपए में मिलेगा। वहीं ईयरली बेसिक प्लान 2,591 रुपए की जगह 1,700 रुपए में अवेलेबल है। यानी X ने अपने बेसिक प्लान की कीमतों में 30% की कटौती की है। प्रीमियम प्लान अब ₹470 में मिलेगा वहीं X का मोबाइल एप मंथली प्रीमियम प्लान अब 900 रुपए की जगह 470 रुपए में मिलेगा। यह 47% सस्ता हुआ है। इसके अलावा वेब मंथली प्रीमियम प्लान 427 रुपए में अवेलेबल है, जो पहले 650 रुपए में मिलता था। यह 34% सस्ता हुआ है। प्रीमियम+प्लान ₹3,000 में अवेलेबल इसके अलावा कंपनी का मोबाइल एप मंथली प्रीमियम+प्लान 5,130 रुपए की जगह अब 3,000 रुपए में मिलेगा। यह 42% सस्ता हुआ है। हालांकि, iOS पर मंथली प्रीमियम+प्लान की कीमत 5,000 रुपए है। वहीं X का मंथली वेब प्रीमियम+प्लान 3,470 रुपए की जगह 2,570 रुपए में अवेलेबल है। यह 26% सस्ता हुआ है। X के प्लान में मिलने वाले फीचर्स बेसिक प्लान: इसमें लिमिटेड प्रीमियम फीचर्स जैसे पोस्ट एडिट करने, लॉन्ग पोस्ट और वीडियो अपलोड, रिप्लाई प्रायोरिटी, टेक्स्ट फॉर्मेटिंग और एप कस्टमाइजेशन जैसे ऑप्शन शामिल हैं। प्रीमियम प्लान: इस प्लान में क्रिएटर टूल्स जैसे एक्स प्रो, एनालिटिक्स, मीडिया स्टूडियो, ब्लू चेकमार्क, लेस एड और ग्रोक के लिए बढ़ी हुई यूज लिमिट जैसे लाभ मिलते हैं। प्रीमियम+ प्लान: यह प्लान एड-फ्री एक्सपीरियंस देता है। इसमें सबसे ज्यादा रिप्लाई बूस्ट, आर्टिकल लिखने की फैसिलिटी और रियल-टाइम ट्रेंड्स के लिए रडार तक पहुंच शामिल है। सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतें क्यों घटाईं? मनीकंट्रोल के अनुसार, इलॉन मस्क की कंपनी X ने भारत में सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में कटौती करने का यह कदम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इंटरनेट मार्केट भारत में यूजर्स को आकर्षित करने के लिए उठाया है। मोबाइल एप पर X के प्लान की कीमतें ज्यादा हैं, क्योंकि कंपनी गूगल और एपल के इन-एप कमीशन को ग्राहकों से वसूल रही है। मस्क लंबे समय से X के रेवेन्यू को एड से इतर सब्सक्रिप्शन के जरिए बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अभी भी कंपनी का रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा एड से आता है। एप इंटेलिजेंस फर्म एपफिगर्स के अनुमान के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक X ने मोबाइल एप के जरिए इन-एप खरीदारी से 16.5 मिलियन डॉलर यानी 142 करोड़ रुपए की कमाई की थी। X ने भारत में सब्सक्रिप्शन 2023 में लॉन्च किया था X ने भारत में अपना ट्विटर ब्लू यानी सब्सक्रिप्शन प्लान फरवरी 2023 में लॉन्च किया था। कंपनी ने अपने सबसे महंगे प्लान प्रीमियम+ की कीमत पिछले एक साल में दो बार बढ़ाई थीं। X के सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमतों में कटौती मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI के नए AI मॉडल Grok 4 के लॉन्च के एक दिन बाद हुई है। मार्च 2025 में xAI ने X को 33 बिलियन डॉलर की ऑल-स्टॉक डील में खरीदा था। ये खबर भी पढ़ें… रॉकेट, कैंसर की दवा बनाना AI के लिए असली टेस्ट: मस्क ने ग्रोक-4 लॉन्च किया, बोले- इसके पास हर सब्जेक्ट में PhD लेवल की समझ इलॉन मस्क की कंपनी xAI ने 10 जुलाई को अपने सबसे पावरफुल AI मॉडल ग्रोक 4 को दुनिया के सामने पेश किया। मस्क ने इसे दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बताया। उन्होंने कहा ग्रोक 4 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये किसी भी सब्जेक्ट में पीएचडी लेवल की समझ रखता है। पूरी खबर पढ़ें… X की CEO लिंडा याकारिनो ने इस्तीफा दिया: प्लेटफॉर्म में कम्युनिटी नोट्स जैसे फीचर्स लाईं, अब मस्क की AI कंपनी के साथ काम करेंगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X की CEO लिंडा याकारिनो ने दो साल काम करने के बाद बुधवार (9 जुलाई) को इस्तीफा दे दिया है। लिंडा ने X पर पोस्ट शेयर कर इसकी जानकारी दी। पूरी खबर पढ़ें…
- सैमसंग की भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी:अमेरिका में बिकने वाले स्मार्टफोन यहां बनाने की प्लानिंग; एपल 97% आईफोन इंडिया में बना रहाon 11/07/2025 at 8:13 AM
एपल के बाद सैमसंग भी अमेरिकी बाजार में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन्स भारत में बनाने की तैयारी में है। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई ट्रेड पॉलिसी और टैरिफ बढ़ोतरी के चलते कई कंपनियां अपने प्रोडक्शन बेस को लेकर रणनीति बदल रही हैं। सैमसंग फिलहाल वियतनाम से अमेरिका को स्मार्टफोन एक्सपोर्ट करता है, लेकिन अगर वहां से शिपमेंट पर 20% तक टैरिफ लगा तो कंपनी के लिए लागत बढ़ जाएगी। इस वजह से सैमसंग अब भारत में अपनी ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री को अमेरिका के लिए एक्सपोर्ट हब बनाने की प्लानिंग कर रहा है। सैमसंग के ग्लोबल प्रेसिडेंट वॉन-जून चोई ने कहा कि हम पहले से ही भारत में कुछ ऐसे स्मार्टफोन बना रहे हैं, जो अमेरिका भेजे जा रहे हैं। अगर टैरिफ को लेकर कोई बड़ा फैसला हुआ, तो हम तुरंत अपने प्रोडक्शन को शिफ्ट कर सकते हैं। अमेरिका में बिकने वाले 97% आईफोन भारत में बन रहे एपल को ट्रम्प की धमकी के बावजूद अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईफोन भारत में बन रहे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एपल ने मार्च से मई 2025 के बीच भारत से जितने भी आईफोन एक्सपोर्ट किए, उनमें से 97% अमेरिका भेजे गए हैं। इनकी कीमत 3.2 बिलियन डॉलर (27,000 करोड़ रुपए) रही। सिर्फ मई में ही करीब 1 बिलियन डॉलर यानी 8,600 करोड़ के आईफोन भारत से अमेरिका भेजे गए हैं। यानी एपल अब भारत में आईफोन एक्सक्लूसिव तौर पर अमेरिकी बाजार के लिए बना रहा है। जनवरी से मई 2025 तक भारत से अमेरिका को 4.4 बिलियन डॉलर(₹37 हजार करोड़) के आईफोन एक्सपोर्ट हो चुके हैं। ये आंकड़ा 2024 के 3.7 बिलियन एक्सपोर्ट से भी ज्यादा है। 2024 तक अमेरिका में बेचे जाने वाले 50% आईफोन भारत में बनते थे। ट्रम्प ने एपल पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी डोनाल्ड ट्रम्प ने 23 मई को कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होनी चाहिए। उन्होंने एपल के CEO टिम कुक को बता दिया है कि यदि एपल अमेरिका में आईफोन नहीं बनाएगा तो कंपनी पर कम से कम 25% का टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा, मैंने बहुत पहले एपल के टिम कुक को सूचित कर दिया था कि जो आईफोन अमेरिका में बेचे जाएंगे, वे अमेरिका में निर्मित किए जाएंगे, न कि भारत या कहीं और। यदि ऐसा नहीं होता है, तो एपल को कम से कम 25% का टैरिफ देना होगा। एपल और सैमसंग का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों, 5 पॉइंट्स ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बनें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है। एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। इसके बावजूद एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपनी सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।
- चांदी ₹1,10,290 के ऑल टाइम हाई पर:आज ₹2,356 बढ़ी कीमत, सोना 465 रुपए महंगा हुआ; इस साल सोने और चांदी के दाम 28% बढ़ेon 11/07/2025 at 7:37 AM
चांदी की कीमत शुक्रवार (11 जुलाई) को ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार एक किलो चांदी की कीमत 2,356 रुपए बढ़कर 1,10,290 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है। कल ये 1,07,934 रुपए पर थी। वहीं, 24 कैरेट सोने के दाम में भी आज तेजी है। ये 465 रुपए महंगा होकर 97,511 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। गुरुवार को सोने का दाम 97,046 रुपए प्रति 10 ग्राम था। इससे पहले 18 जून को चांदी ने ₹1,09,550 और सोने ने ₹99,454 का ऑल टाइम हाई बनाया था। 4 महानगरों में 10 ग्राम सोने की कीमत इस साल अब तक ₹20,882 महंगा हुआ सोना इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 20,882 रुपए बढ़कर 97,046 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 21,917 रुपए बढ़कर 1,07,934 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था। इस साल ₹1 लाख 3 हजार तक जा सकता है सोना केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि अमेरिका के टैरिफ के चलते जियो पॉलिटिकल टेंशन बने हुए हैं। इससे गोल्ड को सपोर्ट मिल रहा है। इससे गोल्ड की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में इस साल सोना 1 लाख 3 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। वहीं चांदी इस साल 1 लाख 30 हजार रुपए तक जा सकती है। सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।
- स्मार्टवर्क्स का IPO 60% सब्सक्राइब हुआ:14 जुलाई तक निवेश का मौका; गूगल, ग्रो, LT जैसी कंपनियों को ऑफिस सर्विस देती है कंपनीon 11/07/2025 at 5:50 AM
स्मार्टवर्क्स के IPO का आज दूसरा दिन है। सुबह 10 बजे तक यह 60% सब्सक्राइब हो चुका है। IPO की शुरुआत बेहतर रही। पहले दिन गुरुवार (10 जुलाई) को यह IPO 52.22% भर गया। कंपनी को एक करोड़ शेयरों की तुलना में 52.51 लाख शेयरों के लिए बोलियां मिल चुकी हैं। रिटेल निवेशकों ने अपने हिस्से का 57% तक खरीदा। वहीं बड़े निवेशकों में नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स का हिस्सा 1.04 गुना भर गया। कंपनी इस IPO से करीब 583 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। इसका इस्तेमाल कारोबार को बढ़ाने और कर्ज कम करने के लिए करेगी। यह इश्यू 14 जुलाई को बंद हो जाएगा। यह देश की सबसे बड़ी ‘मैनेज्ड कैंपस ऑपरेटर’ कंपनी है। एक करोड़ वर्ग फीट स्पेस मैनेज करती हैं। गूगल, ग्रो, मेक माइ ट्रिप, LT, ब्रिजस्टोन और फिलिप ग्लोबल जैसी 700 कंपनियां क्लाइंट हैं। 14 शहरों में सर्विस दे रही कंपनी स्मार्टवर्क्स के को-फाउंडर हर्ष बिनानी कहते हैं, ‘हमने कंपनी शुरू करने से लेकर आईपीओ लाने तक लंबा और शानदार सफर तय किया है। पढ़ाई के लिए विदेश गए तो स्मार्ट ऑफिस का कॉन्सेप्ट करीब से देखा। ऐसे दफ्तर में कर्मचारियों को खुशनुमा और सकारात्मक ऊर्जा वाला माहौल मिलता है। यह भी महसूस किया कि भारत जैसे तेज तरक्की वाले देश में ऐसा कोई कॉन्सेप्ट नहीं है। इसी खाली स्पेस को भरने के इरादे से 2016 में फाउंडर नीतिश सारदा के साथ इसे जमीन पर उतारना शुरू किया। इस दौरान हमने कोविड के दो चुनौती भरे साल भी देखें। अभी हम देश के 14 शहरों में करीब 1 करोड़ वर्ग फीट स्पेस मैनेज कर रहे हैं।’ बिजनेस मॉडल: मजबूत कंपनियों पर फोकस, ताकि निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहे बिनानी ने बताया, ‘हम क्लांइट को होटल जैसा वर्कस्पेस देते हैं। इनमें जिम, रेस्टोरेंट और ग्रोसरी से लेकर लॉन्ड्री तक की सुविधाएं होती हैं। हम डेवलपर्स से जमीन लीज पर लेते हैं। इसे हाईटेक और स्मार्ट वर्क स्टेशन में बदलकर कंपनियों को देते हैं। हम 5-10 सीटर के स्मार्ट केबिन तक उपलब्ध कराते हैं। ये लीजिंग बिजनेस हैं, इसलिए हम बड़ी और मजबूत बैलेंस शीट वाली तेजी से उभरती कंपनियों को ही स्पेस देते हैं। गूगल, परसिस्टेंट सिस्टम्स, ग्रो और मेक माइ ट्रिप जैसी कंपनियां हमारी क्लाइंट हैं। 2 साल में ऑपरेशन से आय दोगुनी निवेश किया गया पैसा 32 माह में वापस स्मार्टवर्क्स को पुराने, स्थापित ऑफिस सेंटर से लगाया पैसा वापस कमाने में औसतन 30-32 माह लगते हैं। इस इंडस्ट्री का औसत 50 माह है। यानी स्मार्टवर्क्स का पैसा ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। इस बिजनेस को भविष्य में ये बड़े फैक्टर सपोर्ट करेंगे पिछले वर्ष की तुलना में यह 40% अधिक है। 2030 तक इस बाजार का आकार 9.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। तब तक कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 25-28 लाख हो जाएगी। यह डिमांड पूरी करने में स्मार्टवर्क्स जैसी ऑफिस स्पेस कंपनियों का बड़ा योगदान होगा।
- टेस्ला का भारत में पहला शोरूम 15 जुलाई को खुलेगा:पांच मॉडल Y गाड़ियां पहले ही मुंबई पहुंच चुकी, कीमत 48 लाख हो सकती हैon 11/07/2025 at 5:31 AM
इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला 15 जुलाई को भारत में अपना पहला स्टोर शुरू करने वाली है। ये स्टोर मुंबई में खुल रहा है और लोगों के लिए एक एक्सपीरियंस सेंटर के तौर पर काम करेगा। यानी यहां न सिर्फ गाड़ियां बेची जाएंगी, बल्कि लोग टेस्ला की टेक्नोलॉजी और फीचर्स को भी करीब से देख सकेंगे। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने ये जानकारी दी है। कंपनी ने बीते दिनों मुंबई के ब्रांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 4,000 वर्ग फीट के रिटेल स्पेस के लिए लीज साइन की थी। यह जगह शहर में स्थित एपल के फ्लैगशिप स्टोर के करीब है। पहले चरण में टेस्ला अपने मॉडल Y SUVs को ला रही है, जो शंघाई फैक्ट्री से इंपोर्ट की गई है। भारत में इसकी कीमत करीब 48 लाख रुपए हो सकती है। 48 लाख रुपए की कार पर 21 लाख की इम्पोर्ट ड्यूटी इंडिया हेड का इस्तीफा, चीनी टीम ऑपरेशंस संभाल रही हाल के दिनों में भारत में अपनी लीडरशिप में बदलाव के बावजूद, टेस्ला अपने प्लान्ड रोलआउट के साथ आगे बढ़ती दिख रही है। कंपनी के इंडिया हेड, प्रशांत मेनन ने पिछले महीने नौ साल की सर्विस के बाद इस्तीफा दे दिया था। ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, फिलहाल टेस्ला की चीन स्थित टीम भारत के ऑपरेशंस को मैनेज कर रही है, और अभी तक कोई नया उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं हुआ है। मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार कंपनी की मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है। ये भारतीय ग्राहकों को भी पसंद आ सकती है। कंपनी ने अमेरिका, चीन और नीदरलैंड से सुपरचार्जर कंपोनेंट, कार एक्सेसरीज, मर्चेंडाइज और स्पेयर्स भी इंपोर्ट किए हैं। टेस्ला का भारत में आना इसलिए भी खास है, क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है। कंपनी को यूरोप और चीन में बिक्री में कमी का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में भारत उनके लिए एक बड़ा मौका साबित हो सकता है। शोरूम का किराया करीब ₹35 लाख प्रति माह रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्ला ने मुंबई के BKC में मेकर मैक्सिटी बिल्डिंग में 5 साल के लिए जगह किराए पर ली है। इसका किराया करीब 35 लाख रुपए प्रतिमाह है, जो भारत के सबसे महंगे कमर्शियल रेंट में से एक है। ये शोरूम टेस्ला के प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहनों को डिस्प्ले करेगा। यहां ग्राहकों को टेस्ट ड्राइव का मौका भी मिलेगा। कंपनी भारत में अभी सिर्फ इंपोर्टेड कारें बेचेगी हालांकि, टेस्ला ने अभी तक भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने का फैसला नहीं किया है। कुछ समय पहले खबर आई थी कि टेस्ला गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में फैक्ट्री लगाने पर विचार कर रही है, लेकिन फिलहाल कंपनी भारत में सिर्फ इंपोर्टेड कारें बेचने पर ध्यान दे रही है। टेस्ला का टाटा और महिंद्रा से कॉम्पिटिशन होगा भारत में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार अभी छोटा है, यहां 2023 में सिर्फ 2% कारें ही इलेक्ट्रिक थीं। लेकिन सरकार का टारगेट है कि 2030 तक 30% नई कारें इलेक्ट्रिक हों। टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी देसी कंपनियां इस मार्केट में पहले से मौजूद हैं और अब टेस्ला के आने से कॉम्पिटिशन और बढ़ेगा। टेस्ला की कारें अपनी शानदार डिजाइन, हाई-टेक फीचर्स और ओवर-द-एयर सॉफ्टवेयर अपडेट्स के लिए जानी जाती हैं। कंपनी ने भारत में पहले से ही सेल्स, सर्विस और डिलीवरी के लिए लोगों की भर्ती शुरू कर दी है। टेस्ला का भारत आना न सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देगा, बल्कि ये भारतीय ग्राहकों को भी नई टेक्नोलॉजी और बेहतर ऑप्शन्स देगा। ————————– टेस्ला से जुड़ी ये खबर भी पढ़े… टेस्ला फिलहाल भारत में कारें नहीं बनाएगी:केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने कहा- कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं; सिर्फ दो शो-रूम खोलेगी इलॉन मस्क की इलेक्ट्रिक कार मेकर कंपनी टेस्ला फिलहाल भारत में कारें बनाने की योजना नहीं बना रही है। भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि टेस्ला सिर्फ दो शो रूम खोलना चाहती है, मैन्युफैक्चरिंग में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…
- सेंसेक्स 690 अंक गिरकर 82,500 पर बंद:निफ्टी भी 205 अंक लुढ़का; IT, ऑटो और रियल्टी शेयर्स सबसे ज्यादा फिसलेon 11/07/2025 at 3:56 AM
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (11 जुलाई) को सेंसेक्स 690 अंक गिरकर 82,500 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 205 अंक की गिरावट रही, ये 25,150 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 23 शेयरों में गिरावट और 7 में तेजी रही। TCS, महिंद्रा और टाटा मोटर्स सहित कुल 14 शेयरों में 1% से 3.5% तक की गिरावट रही। हिंदुस्तान यूनिलीवर 4.65% ऊपर बंद हुआ। निफ्टी के 50 शेयरों में से 39 में गिरावट और 11 में तेजी रही। NSE के IT में 1.78%, ऑटो में 1.77%, मीडिया में 1.60% और रियल्टी शेयर में 1.21% की गिरावट रही। वहीं, FMCG, फार्मा और हेल्थकेयर में तेजी चढ़कर बंद हुए। मार्केट का हाल; 11 जुलाई 2025 निफ्टी टॉप गेनर निफ्टी टॉप लूजर सोर्स: BSE ग्लोबल मार्केट में तेजी 10 जुलाई को घरेलू निवेशकों ने ₹591 करोड़ के शेयर खरीदे स्मार्टवर्क्स का IPO 60% सब्सक्राइब हुआ स्मार्टवर्क्स के IPO का आज दूसरा दिन है। सुबह 10 बजे तक यह 60% सब्सक्राइब हो चुका है। IPO की शुरुआत बेहतर रही। पहले दिन गुरुवार (10 जुलाई) को यह IPO 52.22% भर गया। कंपनी को एक करोड़ शेयरों की तुलना में 52.51 लाख शेयरों के लिए बोलियां मिल चुकी हैं। रिटेल निवेशकों ने अपने हिस्से का 57% तक खरीदा। वहीं बड़े निवेशकों में नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स का हिस्सा 1.04 गुना भर गया। कंपनी इस IPO से करीब 583 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। इसका इस्तेमाल कारोबार को बढ़ाने और कर्ज कम करने के लिए करेगी। यह इश्यू 14 जुलाई को बंद हो जाएगा। यह देश की सबसे बड़ी ‘मैनेज्ड कैंपस ऑपरेटर’ कंपनी है। एक करोड़ वर्ग फीट स्पेस मैनेज करती हैं। गूगल, ग्रो, मेक माइ ट्रिप, LT, ब्रिजस्टोन और फिलिप ग्लोबल जैसी 700 कंपनियां क्लाइंट है। खबर डिटेल में पढ़ें… कल बाजार में 436 अंक की गिरावट रही थी हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार (10 जुलाई) को सेंसेक्स 346 अंक गिरकर 83,190 के स्तर पर बंद हुआ । वहीं निफ्टी में 121 अंक की गिरावट रही, ये 25,355 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में 22 शेयरों में गिरावट और 8 में तेजी रही। BEL, एयरटेल और एशियन पेंट्स के शेयरों में 2.6% की गिरावट रही। मारुति, टाटा स्टील और बजाज फाइनेंस के शेयर्स 1.3% चढ़कर बंद हुए। निफ्टी के 50 शेयर्स में से 38 नीचे जबकि 12 चढ़कर बंद हुए। NSE के बैंकिंग, IT, FMCG और हेल्थकेयर सेक्टर में 1% तक की गिरावट रही। मेटल, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के शेयर्स ऊपर बंद हुए। —————————- बाजार से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें शेयर बाजार के लिए 10 जुलाई अहम: ये दिन निफ्टी की अगली दिशा तय कर सकता है, 5 बड़े ट्रिगर जो मार्केट को प्रभावित करेंगे शेयर बाजार में कल से शुरू होने वाले हफ्ते के लिए 10 जुलाई अहम होने वाला है। वेल्थ-व्यू एनालिटिक्स के डायरेक्टर हरशुभ शाह के मुताबिक ये दिन बाजार की अगली दिशा तय कर सकता है। वहीं उन्होंने अपनी वीकली मार्केट रिपोर्ट में कुछ खास समय और स्तर बताए हैं। इसके अलावा भारत-अमेरिका ट्रेड डील, पहली तिमाही के कंपनियों के नतीजे से लेकर विदेशी निवेशकों की खरीद-बिक्री और टेक्निकल फैक्टर्स बाजार की चाल तय करेंगे। चलिए समझते हैं कि इस हफ्ते बाजार में क्या हो सकता है… पढ़ें पूरी एनालिसिस…
- LIC में 6.50% स्टेक कम कर सकती है सरकार:अमेरिका को अमीर बना रहे भारतीय; रॉकेट, कैंसर की दवा बनाना AI के लिए असली टेस्टon 11/07/2025 at 1:07 AM
कल की बड़ी खबर भारतीय प्रवासियों से जुड़ी रही। भारतीय प्रवासी अमेरिका को और ज्यादा अमीर बना रहे हैं। वहां रहने वाले विदेशी मूल के अरबपतियों में सबसे ज्यादा संख्या अब भारतीयों की है। फोर्ब्स ने अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इजराइल, चीन और ताइवान को पीछे छोड़ते हुए भारत 12 अरबपतियों के साथ टॉप पर है। वहीं, सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने LIC में ऑफर-फॉर-सेल (OFS) को मंजूरी दे दी है, जिसे जल्द ही बाजार में लाया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार के अनुसार सरकार LIC की 6.5% हिस्सेदारी बेच सकती है। कल की बड़ी खबरों से पहले आज की सुर्खियां, जिन पर रहेगी नजर… अब कल की बड़ी खबरें पढ़ें… 1. अमेरिका को अमीर बना रहे भारतीय प्रवासी: करीब ₹25 लाख करोड़ टैक्स दे रहे, US में भारतीय मूल के सबसे ज्यादा अरबपति भारतीय प्रवासी अमेरिका को और ज्यादा अमीर बना रहे हैं। वहां रहने वाले विदेशी मूल के अरबपतियों में सबसे ज्यादा संख्या अब भारतीयों की है। फोर्ब्स ने अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इजराइल, चीन और ताइवान को पीछे छोड़ते हुए भारत 12 अरबपतियों के साथ टॉप पर है। अमेरिका में रहने वाले 51 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में 250-300 बिलियन डॉलर करीब ₹25 लाख करोड़ टैक्स के रूप में देते हैं। ये अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% है। अमेरिका में सबसे अमीर भारतीय जय चौधरी हैं। इनकी नेटवर्थ 17.9 बिलियन डॉलर यानी 150 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 2. LIC में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में सरकार: 6.50% स्टेक कम का सकती है, 2022 में IPO के जरिए 3.5% शेयर बेचे थे सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने LIC में ऑफर-फॉर-सेल (OFS) को मंजूरी दे दी है, जिसे जल्द ही बाजार में लाया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार के अनुसार सरकार LIC की 6.5% हिस्सेदारी बेच सकती है। ऑफर फॉर सेल (OFS) यानी कंपनी के मौजूदा शेयरधारक (जैसे कि प्रमोटर, निवेशक या अन्य बड़े शेयरधारक) अपने पास मौजूद कंपनी के शेयरों को बेचने के लिए जनता को पेश करेंगे। इसका मतलब यह है कि कंपनी पैसा जुटाने के लिए नए शेयर जारी नहीं कर रही, बल्कि पहले से मौजूद शेयर बेचे जा रहे हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 3. अमेरिका की टैरिफ नीति से भारत को फायदा: रिपोर्ट- भारत को निवेश हब बनने का मौका; ट्रम्प ने इंडो-पैसिफिक के कई देशों पर भारी टैरिफ लगाया अमेरिका की नई टैरिफ नीति भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका भारत पर तय टैरिफ से कम टैरिफ लागू कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ इंडो-पैसिफिक के कई देशों को भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इससे भारत में विदेशी निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं और देश की मैन्युफेक्चरिंग क्षमता को मजबूती मिल सकती है। अरिहंत कैपिटल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत कई अन्य एशियाई देशों की तुलना में अमेरिका के नए टैरिफ सिस्टम में बेहतर स्थिति में है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 4. TCS शेयरधारकों को हर शेयर पर ₹11 डिविडेंड देगी: वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में कंपनी को ₹12,760 करोड़ का मुनाफा, कमाई 2.4% बढ़ी टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 12,760 करोड़ रुपए का मुनाफा (कॉन्सोलिडेटेड नेट प्रॉफिट) हुआ है। सालाना आधार पर इसमें 5.98% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 12,040 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी ने संचालन से 63,437 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। सालाना आधार पर यह 1.31% कम है। अप्रैल-जून 2024 में कंपनी ने 62,613 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं के बेचने से मिलने वाली राशि को राजस्व या रेवेन्यू कहा जाता है। इसमें टैक्स शामिल नहीं होता है। कंपनी ने 10 जून को अप्रैल-जून तिमाही के नतीजे जारी किए। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 5. चैट-GPT बनाने वाली कंपनी अपना वेब ब्राउजर लॉन्च करेगी: बार-बार वेबसाइट्स पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, गूगल क्रोम को मिलेगी टक्कर चैटGPT बनाने वाली कंपनी ओपन AI आने वाले कुछ हफ्तों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पावर्ड वेब ब्राउजर लॉन्च करने जा रही है। ओपन AI का ये ब्राउजर चैटGPT जैसे इंटरफेस में कुछ काम सीधे करेगा, यानी यूजर्स को बार-बार वेबसाइट्स पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ओपनAI की योजना है कि ये ब्राउजर उनके AI प्रोडक्ट्स, जैसे ‘ऑपरेटर’ को ब्राउजिंग में जोड़ा जाए, जो बुकिंग या फॉर्म भरने जैसे काम कर सके। हालांकि, गूगल क्रोम का 3 अरब से ज्यादा यूजर्स के साथ 66% मार्केट शेयर है, जबकि Apple का Safari 16% के साथ दूसरे नंबर पर है। ओपनAI को इनसे कड़ी टक्कर मिलेगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… 6. रॉकेट, कैंसर की दवा बनाना AI के लिए असली टेस्ट: मस्क ने ग्रोक-4 लॉन्च किया, बोले- इसके पास हर सब्जेक्ट में PhD लेवल की समझ इलॉन मस्क की कंपनी xAI ने 10 जुलाई को अपने सबसे पावरफुल AI मॉडल ग्रोक 4 को दुनिया के सामने पेश किया। मस्क ने इसे दुनिया का सबसे स्मार्ट AI बताया। उन्होंने कहा ग्रोक 4 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये किसी भी सब्जेक्ट में पीएचडी लेवल की समझ रखता है। ग्रोक को वीडियो जनरेशन के लिए भी ट्रेन किया जा रहा है। इस साल ग्रोक से बनाया गया दुनिया का पहला AI-जनरेटेड टीवी शो और अगले साल शायद पूरी AI-जनरेटेड फिल्म रिलीज हो जाएगी। वहीं मस्क का दावा है कि अगले साल तक ग्रोक नई टेक्नोलॉजीज और शायद 2 साल में नई फिजिक्स की खोज कर सकता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… अब आपके जरूरत की खबर पढ़ें पोस्ट-ऑफिस टाइम डिपॉजिट अकाउंट में मिल रहा 7.5% ब्याज: 1 से 5 साल तक के लिए कर सकते हैं निवेश, जानें इससे जुड़ी खास बातें सरकार ने जुलाई-सितंबर (Q2FY26) के लिए स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। यानी आपको पहले जितना ही ब्याज मिलता रहेगा। अगर आप इन दिनों फिक्स्ड डिपॉजिट कराने का प्लान बना रहे हैं तो तो इससे पहले पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग्स टाइम डिपॉजिट अकाउंट के बारे में भी जान लेना चाहिए। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… कल दुनिया के टॉप-10 सबसे अमीर कौन रहे यह भी देख लीजिए… कल के शेयर मार्केट और सोना-चांदी का हाल जान लीजिए… पेट्रोल-डीजल और घरेलू गैस सिलेंडर की लेटेस्ट कीमत जान लीजिए…
- अमेरिका को अमीर बना रहे भारतीय प्रवासी:करीब ₹25 लाख करोड़ टैक्स दे रहे, US में भारतीय मूल के सबसे ज्यादा अरबपतिon 10/07/2025 at 12:46 PM
भारतीय प्रवासी अमेरिका को और ज्यादा अमीर बना रहे हैं। वहां रहने वाले विदेशी मूल के अरबपतियों में सबसे ज्यादा संख्या अब भारतीयों की है। फोर्ब्स ने अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इजराइल, चीन और ताइवान को पीछे छोड़ते हुए भारत 12 अरबपतियों के साथ टॉप पर है। अमेरिका में रहने वाले 51 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में 250-300 बिलियन डॉलर करीब ₹25 लाख करोड़ टैक्स के रूप में देते हैं। ये अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% है। अमेरिका में सबसे अमीर भारतीय जय चौधरी हैं। इनकी नेटवर्थ 17.9 बिलियन डॉलर यानी 150 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। वहीं इस लिस्ट में दक्षिण अफ्रीका से आकर अमेरिका में बसे इलॉन मस्क पहले नंबर पर हैं। इनकी नेटवर्थ 33.82 लाख करोड़ रुपए है। दूसरे नंबर पर 11.97 लाख करोड़ की नेटवर्थ के साथ रूस के सर्गी ब्रिन हैं। तीसरे नंबर पर ताइवान के जेन्सेन हुआंग हैं। इनकी नेटवर्थ 12.24 लाख करोड़ रुपए है। अमेरिका में रहने वाले तीन सबसे अमीर भारतीय प्रवासी 1. जय चौधरी: हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में सफल बिजनेसमैन बने हैं। उन्होंने आईआईटी बीएचयू वाराणसी से पढ़ाई की और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी से कई मास्टर्स डिग्री हासिल की। 1980 में अमेरिका आए जय चौधरी ने कई टेक्नोलॉजी कंपनियां शुरू कीं, जिनमें से सबसे प्रमुख है साइबर सिक्योरिटी कंपनी जस्कैलेर। जस्कैलेर के सीईओ और चेयरमैन के रूप में उन्होंने कंपनी को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है। 2. विनोद खोसला: पुणे, भारत के रहने वाले हैं और वे एक सफल उद्यमी व वेंचर कैपिटलिस्ट हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स व स्टैनफोर्ड से एमबीए किया। 1982 में उन्होंने सन माइक्रोसिस्टम्स की स्थापना की, जिसने कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में कई बदलाव किए। बाद में उन्होंने वेंचर कैपिटल फर्म खोसला वेंचर्स शुरू की, जो टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एआई स्टार्टअप्स में निवेश करती है। 3. राकेश गंगवाल: कोलकाता के रहने वाले हैं और वे इंडिगो एयरलाइंस के सह-संस्थापक हैं, जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है। उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। उन्होंने अपना एविएशन करियर यूनाइटेड एयरलाइंस से शुरू किया और बाद में यूएस एयरवेज के सीईओ और चेयरमैन भी रहे। 2006 में उन्होंने राहुल भाटिया के साथ मिलकर इंडिगो की स्थापना की, जिसने तेजी से सफलता हासिल की। गंगवाल ने आईआईटी कानपुर को कई बड़े दान किए हैं। अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% दे रहे भारतीय प्रवासियों की कमाई भारत के लिए फायदेमंद भारतीय प्रवासियों की कमाई सिर्फ अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी फायदेमंद है। 2022 में भारतीय प्रवासियों ने 111 बिलियन डॉलर (लगभग 9.5 लाख करोड़ रुपए) भारत भेजे, जो किसी भी देश से सबसे ज्यादा है। यह पैसा भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। साथ ही, ये प्रवासी भारत में निवेश भी कर रहे हैं, जिससे स्टार्टअप और बिजनेस को बढ़ावा मिल रहा है। अमेरिका में 125 विदेशी मूल के अरबपति नागरिक अमेरिका में इस वक्त कुल 125 विदेशी मूल के अरबपति रहते हैं, जो 43 देशों से आए हैं। ये अरबपति मिलकर अमेरिका के कुल अरबपतियों की संपत्ति में 18% हिस्सेदारी रखते हैं। इसकी वैल्यू करीब $1.3 ट्रिलियन यानी 111 लाख करोड़ है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा 12 भारतीयों के बाद इजराइल और ताइवान के 11-11 अरबपति हैं। चीन के 8 अरबपति इस लिस्ट में शामिल हैं। टेक्नोलॉजी और फाइनेंस सेक्टर के सबसे ज्यादा लोग शामिल फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 93% इमिग्रेंट अरबपति सेल्फ-मेड हैं, यानी उन्होंने अपनी मेहनत से यह मुकाम पाया है। इनमें से दो-तिहाई टेक्नोलॉजी और फाइनेंस सेक्टर से जुड़े हैं। इस बार लिस्ट में सुंदर पिचाई, सत्य नाडेला और निकेश अरोरा जैसे नए नाम शामिल हुए हैं। ये अमेरिका की बड़ी कंपनियों के सीईओ हैं।
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- बजट सत्र:भाजपा ने सोनिया गांधी-पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया; दोनों ने राष्ट्रपति पर विवादित कमेंट किया थाon 02/02/2025 at 10:54 PM
भाजपा सांसदों ने सोमवार को कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू पर किए सोनिया और पप्पू यादव के कमेंट पर नोटिस दिया गया है। भाजपा के नोटिस में लिखा गया- सोनिया गांधी-पप्पू यादव ने सर्वोच्च पद की गरिमा को कम करने के इरादे से भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय शब्दों का उपयोग किया है। इसलिए संसदीय विशेषाधिकार, नैतिकता और मर्यादा के उल्लंघन का नोटिस पेश किया। दरअसल, 31 जनवरी को बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर ने दोनों सदनों को संबोधित किया था। उनके अभिभाषण पर सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘बेचारी’ शब्द इस्तेमाल किया था। सोनिया ने कहा था कि अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक गईं थीं। बह बेचारी मुश्किल से बोल पा रही थीं। पप्पू यादव ने टिप्पणी में कहा था कि राष्ट्रपति रबर स्टैंप की तरह हैं। वे बस लव लेटर पढ़ती रहती हैं। वहीं, राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के भाषण को बोरिंग बताया था। पप्पू यादव बोले- भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है विशेषाधिकार हनन का नोटिस पर पप्पू यादव ने कहा, ‘भारत के राष्ट्रपति 140 करोड़ भारतीयों के लिए एक सम्मानजनक पद है। भाजपा या किसी अन्य पार्टी की आलोचना करना राष्ट्रपति की आलोचना नहीं है। भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है। मैंने एक निश्चित संदर्भ में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बारे में बयान दिया था। अगर मेरे किसी बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूं और माफी भी मांगता हूं।’ उन्होंने कहा कि भाजपा प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के खिलाफ भी अपमानजनक बयान देते थे। मेरा राष्ट्रपति की कुर्सी का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति वही बोलेंगी जो सरकार को कहना है, इसलिए मैंने कहा कि यह भाजपा का प्रेम पत्र था। संसद की आज की कार्यवाही पढ़ने के लिए ब्लॉग से गुजर जाइए…
- आज का एक्सप्लेनर:ओल्ड टैक्स रिजीम को मौत का इंजेक्शन, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसे खर्च करें; क्या इससे नुकसान होगाon 01/02/2025 at 11:46 PM
2025 के बजट में 12 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स की घोषणा ने सारी महफिल लूट ली। लेकिन ये छूट सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों के लिए है। ओल्ड टैक्स रिजीम वालों को राहत देना तो दूर, वित्तमंत्री ने जिक्र तक नहीं किया। क्या बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाली ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म हो जाएगी, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा खर्च करें और इसका क्या इम्पैक्ट होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: क्या ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म कर दिया जाएगा? जवाब: भारत में दो तरह की टैक्स व्यवस्था है… पहली- पहले से चली आ रही ओल्ड टैक्स रिजीम। जिसमें HRA, LTA, 80C और 80D जैसी तमाम छूट देकर बचत और निवेश को बढ़ावा दिया जाता है। दूसरी- न्यू टैक्स रिजीम, जिसे सरकार ने 2020 में लॉन्च किया था। इसमें छूट न देकर टैक्स रेट कम किए गए, जिससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचे। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक 2025 के बजट में ओल्ड टैक्स रिजीम को सही मायने में इंजेक्शन दे दिया है। वो धीरे-धीरे अपनी मौत मर जाएगा। न्यू टैक्स वालों को 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं। इस घोषणा के बाद पुरानी टैक्स रिजीम में बने रहने का कोई आकर्षण नहीं बचा है। सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में पुराने टैक्स को खत्म करने की समय सीमा दी जा सकती है। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद आयोजित की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, देशभर के 75% टैक्सपेयर पहले ही पुरानी टैक्स व्यवस्था को छोड़कर नई टैक्स व्यवस्था में आ गए हैं। हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे सभी टैक्सपेयर ऐसा करेंगे। सवाल-2: सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम क्यों खत्म करना चाहती है? जवाब: एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन 4 बड़ी वजहों से सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करना चाहती है… 1. टैक्स स्ट्रक्चर को आसान करना: ओल्ड टैक्स रिजीम बेहद कॉम्प्लेक्स है। इसमें 80C, 80D और HRA जैसी कई छूट और कटौती का फायदा मिलता था। इससे टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरना बहुत मुश्किल और बोझिल है। सरकार को भी इस रिजीम के साथ काम करने में दिक्कतें आती हैं। 2. टैक्स चोरी रोकना: सरकार का मानना है कि कम छूट और कम कटौती से टैक्स चोरी या हेरफेर को रोका जा सकता है। टैक्स से बचने के लिए लोग फर्जीवाड़ा करते हैं और झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं। 3. ज्यादा लोगों से टैक्स भरवाना: न्यू टैक्स रिजीम में नियम-कानून कम हैं। नई रिजीम में आसान सुविधाएं मिलने से ज्यादा लोग टैक्स भरेंगे, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी। 4. नई रिजीम का मैनेजमेंट सस्ता: पुरानी टैक्स रिजीम में कई छूटों और कटौतियों पर नजर रखने के लिए ज्यादा अधिकारियों की जरूरत होती है। नई रिजीम से मैनपावर कम किया जा सकेगा। सवाल-3: ओल्ड टैक्स रिजीम में बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाले क्या प्रावधान हैं? जवाबः पुरानी व्यवस्था निवेश और बचत को बढ़ावा देने वाली है। कुछ प्रमुख प्रावधान… सवाल-4: ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म होने से क्या इम्पैक्ट पड़ेगा? जवाब: ओल्ड टैक्स रिजीम के खत्म होने से 3 बड़े इम्पैक्ट पड़ सकते हैं… 1. बचत और निवेश की जगह खर्च बढ़ेगा टैक्स एक्सपर्ट सीए बलवंत जैन बताते हैं कि अब करीब 98% टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनेंगे और सरकार भी यही चाहती है। ऐसा होने से लोग इन्वेस्ट करने के बजाय खर्च ज्यादा करेंगे। इससे GDP और प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सरकार का GST कलेक्शन बढ़ेगा। लेकिन इसका नेगेटिव असर भी होगा। दरअसल, ओल्ड टैक्स रिजीम में छूट के लिए लोग PF, NPS, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश करते थे, जो उनके रिटायरमेंट के बाद काम आते थे। लेकिन न्यू टैक्स रिजीम चुनने वाली आज की वर्किंग जनरेशन खर्च करने पर ज्यादा भरोसा करती है। ऐसे में उनका रिटायरमेंट प्लान तैयार नहीं होगा। यानी इनका भविष्य खतरे में रह सकता है। 2. मिडिल क्लास की जेब पर बुरा असर पुरानी रिजीम के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलने के बहुत से इन्वेस्टमेंट ऑप्शन था। जो लोगों को टैक्स बचाने में मदद करते थे। PPF, ELSS और NSC जैसे ऑप्शन से टैक्सपेयर्स कई हद तक टैक्स बचा लेते थे। अब नई रिजीम के तहत यह छूट नहीं मिलेगी। इससे आम आदमी की सेविंग्स पर बुरा असर पड़ेगा। 3. सामाजिक कामों में कमी होगी कम छूट के साथ धर्मार्थ दान कम हो जाएगा यानी दक्षिणा या सोशल वर्क के लिए जो पैसा दिया जाता था, वो अब बंद हो जाएगा। पुरानी टैक्स रिजीम में दान में दिए हुए पैसे पर टैक्स नहीं लगता था। इससे NGO और सोशल वर्किंग के लिए पैसा नहीं मिलेगा। हालांकि, लोग नई रिजीम के बाद दान देना चाहते हैं, तो यह टैक्स के दायरे में आएगा। सवाल-5: सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसा खर्च करें? जवाब: सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक 2025 के बजट में सरकार ने कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं Virtuous Cycle यानी सुचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इस सुचक्र से FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। सवाल-6: क्या अभी भी कोई ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना चाहेगा? जवाब: इसे आसान भाषा में समझने के लिए दोनों टैक्स के बीच अंतर को समझना होगा। न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री है, लेकिन ओल्ड रिजीम ज्यों की त्यों रखी गई है। ओल्ड रिजीम में पीपीएफ, एनएससी, लाइफ इंश्योरेंस और एनपीएस जैसी चीजों में इन्वेस्ट करने पर टैक्स में छूट मिलती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कोई इंसान हाई सैलरी कैटेगरी में आता है और उसे कंपनी से HRA जैसी सुविधा मिलती है, तो कुछ केस में ओल्ड टैक्स रिजीम अभी भी बेहतर है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान के मुताबिक अगर आपकी सालाना आय ₹40 लाख है और HRA ₹12 लाख तक है, तो पुरानी व्यवस्था अभी भी फायदेमंद है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या 1% से भी कम होगी। ————– बजट से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें बजट 2025: ₹12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री, चुनाव वाली दिल्ली में 40 लाख करदाता; 77 मिनट के भाषण में 9 बार बिहार सीतारमण ने शनिवार को ₹50.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया। बजट में नौकरीपेशा के लिए 12.75 लाख और बाकी करदाताओं के लिए 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। ऐसा कर सरकार ने मध्यम वर्ग को साधा और दिल्ली को भी जहां 4 दिन बाद 5 फरवरी को वोटिंग है। पूरी खबर पढ़ें…
- बजट 2025- एक्सपर्ट एनालिसिस:12 लाख तक टैक्स नहीं, फिर 10% स्लैब क्यों; 1 लाख करोड़ का घाटा उठाकर भी फायदे में सरकारon 01/02/2025 at 11:44 PM
वित्त मंत्री का 1 घंटे 17 मिनट लंबा बजट भाषण और करीब 50 लाख करोड़ रुपए का बजट। आम लोगों के लिए इसे पूरी तरह समझना बेहद मुश्किल है। इसीलिए भास्कर के 3 एक्सपर्ट्स ने आसान भाषा में इस बजट की 8 जरूरी बातें डिकोड की हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए… 1. 12.75 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं, लेकिन शर्तें लागू* ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगें मिले न भीख’… इस बार के बजट में मिडिल क्लास को वो मोती मिल ही गया है। 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। लेकिन इसमें 2 शर्तें लागू हैं… i. ये बदलाव सिर्फ नए टैक्स रिजीम वालों के लिए हुआ है। यानी जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा। ii. ये फायदा खासतौर पर उन्हें मिलेगा, जिनकी इनकम सैलरी से आती है। अगर आपने कैपिटल गेन किया है यानी शेयर मार्केट में पैसा लगाया, म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया, घर की खरीद-फरोख्त की और उस पर टैक्स की देनदारी है, तो ये व्यवस्था लागू नहीं होगी। इन आंकड़ों को देखने के बाद मन में ये सवाल उठ सकता है कि अगर 12 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा, तो फिर 4-12 लाख रुपए तक की कमाई पर 5 से 10 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान क्यों है। इसे आसान भाषा में समझें तो पहले 7 लाख तक की आय पर 87A की तहत जो छूट मिलती थी, उसकी लिमिट बढ़ाकर 12 लाख कर दी गई है। 2. सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए का घाटा होगा इनकम टैक्स पर हुए ऐलान के बाद केंद्र सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए, वहीं इनडायरेक्ट टैक्स में 2,600 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान हो सकता है। हालांकि इनमें से एक बड़ा हिस्सा वापस सरकार के पास आ जाएगा। उदाहरण के लिए- अगर टैक्स में बदलाव से आपके 10 हजार रुपए बचे। इनमें से आपने 8 हजार रुपए की शॉपिंग कर ली, तो GST, कस्टम ड्यूटी जैसी चीजों से इसका एक हिस्सा वापस सरकार के पास पहुंच जाएगा। इसलिए सरकार को बहुत नुकसान नहीं होगा। 3. लोगों के हाथ में पैसे आएंगे, वो ज्यादा खर्च करेंगे तो इकोनॉमी बूस्ट होगी देश में 85% लोग 12 लाख रुपए से कम कमाते हैं। टैक्स को लेकर हुए ऐलान के बाद लोगों के पास पैसे बचेंगे और लोग यह पैसे दूसरी चीजों पर खर्च करेंगे। इससे FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। ये बजट ऐसा है जिसमें कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं virtuous cycle यानी सूचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का यदि आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इसी को अर्थशास्त्र में सूचक्र यानी virtuous cycle कहते हैं। 4. ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करने के संकेत इस बार के बजट में पुराने टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने इस बारे में संसद में कोई चर्चा भी नहीं की। पुराने टैक्स रिजीम में सेक्शन 80C के तहत छूट और बाकी डिडक्शन हैं, लेकिन आज के ऐलान के बाद न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा प्रभावी लग रही है। ओल्ड टैक्स रिजीम को लिटरली मौत का इंजेक्शन दे दिया है। जिन लोगों HRA वगैरह ज्यादा मिलता है, उनको ओल्ड टैक्स रिजीम में फायदा मिलेगा। वर्ना 98%-99% लोग न्यू टैक्स रिजीम में आ जाएंगे। आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में ये हो सकता है कि पुराने टैक्स को खत्म करने के लिए कोई समय सीमा दे दी जाए। चाहे वो 2, 3 या 4 साल की हो। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम। 5. इनकम टैक्स के अलावा भी दो बड़ी घोषणाएं- TDS और TCS इनकम टैक्स के अलावा दो और महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं- TDS यानी Tax Deducted at Source और TCS यानी Tax Collected at Source। धारा 194A के तहत सीनियर सिटिजन को पहले 50 हजार रुपए तक की इंट्रेस्ट इनकम पर TDS लगता था, जिसे अब बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है। वहीं, अन्य लोगों के लिए ये इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स 40,000 से बढ़ा कर 50,000 कर दिया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि TDS के जरिए जो पैसा चला जाया करता था और साथ ही साथ आपका इनकम टैक्स भले ही न बनता हो पर रिफंड पाने के लिए जो आप रिटर्न दाखिल करते थे। उसकी आपको जरूरत नहीं पड़ेगी। एक तरफ आपके लिए रिटर्न आसान हो गया और दूसरी तरफ आपके हाथ में पैसे आ जाएंगे। 6. सरकार ने कृषि को ‘सेक्टर ऑफ फ्यूचर’ माना, कई बड़े ऐलान किए एग्रीकल्चर को लेकर सरकार ज्यादा फोकस कर रही है। इकोनॉमी सर्वे को देखा जाए तो एग्रीकल्चर को ‘सेक्टर ऑफ द फ्यूचर’ यानी भविष्य का क्षेत्र कहा गया है। सरकार ने दाल के लिए मिशन लॉन्च करने की बात कही है। ये बहुत जरूरी है, क्योंकि देश में दाल और सरसों तेल बड़े पैमाने पर इम्पोर्ट किए जाते हैं। आने वाले समय में किसान धान, गेहूं के बाद इन फैसलों की पैदावार बढ़ाने पर जोर देंगे। इसके अलावा वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत मिलने वाले लोन की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का ऐलान किया है। इसका फायदा 7.7 करोड़ किसानों को मिलेगा। 7. बिहार में इस साल चुनाव, इसलिए बाकी राज्यों से ज्यादा मिला बिहार के लिए बजट ज्यादा सुविधाजनक रहा है इसमें कोई शक नहीं है। बजट में बिहार के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, पटना IIT का विस्तार, मखाना के लिए अलग से बोर्ड बनाना और मिथिलांचल में बाढ़ से निपटने के लिए नई योजना का ऐलान किया गया है। बिहार में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। साथ ही केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है, इस कारण पहले ही उम्मीद थी बिहार के लिए कुछ खास ऐलान हो सकता है। 8. पूंजीगत खर्च उम्मीद के मुताबिक नहीं, ये निराशाजनक इस बार के बजट का फोकस ‘कंजम्प्शन लेड ग्रोथ’ है। इसलिए पूंजीगत खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं दिख रही है। ये विकास की जरूरतों के हिसाब से कम है। ऐसा लगता है कि सरकार ने ज्यादातर ध्यान ये दिया है कि अगर अभी खपत बढ़ जाएगी तो उससे आगे पूंजीगत खर्च बढ़ाने का रास्ता मिल जाएगा। ——– एक्सपर्ट पैनल… शिशिर सिन्हाः ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ के एसोसिएट एडिटर हैं। मीडिया स्टूडेंट्स को बिजनेस जर्नलिज्म भी पढ़ाते हैं। स्वाति कुमारीः पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म Bwealthy की फाउंडर हैं। कई मीडिया हाउसेज में बतौर बिजनेस जर्नलिस्ट काम कर चुकीं। बलवंत जैनः टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट ——- बजट से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए- क्लिक करें
- बजट 2025 – 10 पॉइंट्स में:फोन-EV सस्ते होंगे, बिहार में 3 नए एयरपोर्ट बनेंगे; टैक्स फ्री इनकम की लिमिट अब ₹12 लाखon 01/02/2025 at 11:30 PM
इस बार के बजट में सरकार ने 10 बड़ी घोषणाएं की हैं। यहां पॉइंट में पढ़िए पूरा बजट… 1. इनकम टैक्स 2. सस्ता-महंगा 3. किसान 4. कारोबार 5. एजुकेशन 6. मकान 7. टूरिज्म और कनेक्टिविटी 8.हेल्थ 8. इंफ्रास्ट्रक्चर 9. महिला 10. न्यूक्लियर मिशन
- बजट 2025 – सस्ता-महंगा:इलेक्ट्रिक कारें, फोन, LED, 36 जीवनरक्षक दवाएं सस्ती; सोना-चांदी में बदलाव नहींon 01/02/2025 at 11:28 PM
सरकार की बजट घोषणाओं के बाद कुछ चीजें सस्ती होंगी, कुछ के दाम बढ़ेंगे। लेकिन सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नीचे देखिए सस्ते-महंगे सामानों की सूची… अन्य आइटम जो सस्ते होंगे: 40,000 डॉलर से ज्यादा कीमत या 3,000 सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें और पूरी तरह से निर्मित (सीबीयू) यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 सीसी से अधिक नहीं है। अन्य आइटम जो महंगे होंगे: स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, पीवीसी फ्लेक्स शीट्स, पीवीसी फ्लेक्स बैनर, नीटिंग प्रोसेसे से बना कपड़ा दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम होगी बीते एक साल में क्या सस्ता और क्या महंगा… 3 सवालों में जानिए बजट में कैसे घटते-बढ़ते हैं सामानों के दाम सवाल 1: बजट में प्रोडक्ट सस्ते-महंगे कैसे होते हैं? जवाब: बजट में कोई भी प्रोडक्ट सीधे तौर पर सस्ता-महंगा नहीं होता। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी जैसे इनडायरेक्ट टैक्स के घटने-बढ़ने से चीजें सस्ती-महंगी होती है। ड्यूटी के बढ़ने और घटने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, सरकार ने बजट में ऐलान किया कि वो गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी में 10% की कटौती कर रही है। इसका असर ये होगा कि विदेश से सोना मंगाना 10% सस्ता हो जाएगा। यानी, सोने की ज्वेलरी, बिस्किट, सिक्के की कीमतें कम हो जाएगी। सवाल 2: इनडायरेक्ट टैक्स क्या होता है? जवाब: टैक्सेशन को डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में बांटा गया है: i. डायरेक्ट टैक्स: इसे लोगों की आय या मुनाफे पर लगाया जाता है। इनकम टैक्स, पर्सनल प्रॉपर्टी टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। डायरेक्ट टैक्स का बोझ वह व्यक्ति ही वहन करता है जिस पर टैक्स लगाया गया है और इसे किसी और को पास नहीं किया जा सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) इसे गवर्न करती है। ii. इनडायरेक्ट टैक्स: इसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, GST, VAT, सर्विस टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। इनडायरेक्ट टैक्स को एक व्यक्ति से दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है। जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) गवर्न करती है। सवाल 3: पहले बजट में ही टीवी, फ्रिज, एसी जैसे सामानों के दाम घटते-बढ़ते थे, अब ऐसा क्यों नहीं होता? जवाब: दरअसल, सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी लागू किया था। जीएसटी के दायरे में लगभग 90% प्रोडक्ट आते हैं और GST से जुड़े सभी फैसले GST काउंसिल लेती है। इसलिए बजट में इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता है।
- बजट 2025- इनकम टैक्स:12 लाख तक इनकम पर 60 हजार फायदा; नई टैक्स रिजीम वाले फायदे में, पुरानी जस की तसon 01/02/2025 at 11:25 PM
बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दी गई है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया गया है। पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि नई टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपए तक की छूट इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के तहत दी गई है। यानी नई टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख तक की सालाना कमाई वालों पर 4-8 लाख रुपए पर लगने वाले 5% टैक्स और 8-12 लाख की कमाई पर लगने वाला 10% टैक्स सरकार माफ कर देगी। इससे टैक्सपेयर को 60 हजार रुपए का फायदा होगा। मतलब यह कि अगर किसी की कमाई सालाना 12 लाख रुपए से ऊपर होती है तो उसकी टैक्स की कैलकुलेशन में 4-8 लाख पर 5% टैक्स और 8-12 लाख पर 10% टैक्स भी जोड़ा जाएगा। वहीं सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल लाएगी। भास्कर इनकम टैक्स कैल्कुलेटर से जानिए आप पर कितना टैक्स बनेगा चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) सुनील जैन से जानिए, अब आपकी कमाई पर लगेगा कैसे और कितना टैक्स… कैपिटल गेन इनकम पर देना होगा टैक्स मान लीजिए आपकी कुल इनकम 12 लाख रुपए है, जिसमें से सैलरी और अन्य इनकम 8 लाख रुपए है, लेकिन कैपिटल गेन इनकम 4 लाख रुपए है, तो सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट केवल 8 लाख रुपये पर ही दी जाएगी। 4 लाख रुपए की कैपिटल गेन इनकम पर टैक्सपेयर्स को अलग से इनकम टैक्स देना होगा। इनकम टैक्स या टैक्स को लेकर ये 8 बड़े बदलाव भी हुए अब पुरानी टैक्स रिजीम को समझें पुरानी टैक्स रिजीम चुनने पर अभी भी आपकी 2.5 लाख रुपए तक की इनकम ही टैक्स फ्री रहेगी। हालांकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत आपको 5 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स देना होगा। पुरानी और नई टैक्स रिजीम से जुड़े 3 सवाल… सवाल 1: पुरानी और नई टैक्स रिजीम में क्या अंतर है? जवाब: नए टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 लाख रुपए कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन नहीं मिलते हैं। वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। सवाल 2: पुरानी टैक्स रिजीम में किस तरह की छूट मिलती है? जवाब: अगर आप EPF, PPF और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम में निवेश करते हैं। तो आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से ये इनकम कम हो जाएगी। वहीं, मेडिकल पॉलिसी पर किए गए खर्च, होम लोन पर चुकाए गए ब्याज और नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश किए गए रुपए भी आपकी टैक्सेबल इनकम से घट जाते हैं। सवाल 3: पुरानी टैक्स रिजीम किन लोगों के लिए बेहतर है? जवाब: अगर आप निवेश और टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकती है। वहीं अगर आप कम टैक्स रेट और टैक्स डिडक्शन के झंझटों से बचना चाहते हैं तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए सही हो सकती है।
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