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  • स्टारलिंक-अमेजन ने भारत में शुरू की नई पार्टनरशिप:VSAT कंपनियों के साथ डील्स साइन की, सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस जल्द शुरू करेंगी
    on 30/06/2025 at 2:42 PM

    अमेरिका की दो बड़ी सैटेलाइट कंपनियों स्टारलिंक और अमेजन कुइपर ने भारत में पहली बार VSAT (वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल) कंपनियों के साथ कॉमर्शियल डील्स साइन की हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये पार्टनरशिप भारत में एंटरप्राइज (B2B) और सरकारी (B2G) सेक्टर में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने की दिशा में बड़ा कदम हैं। ये डील्स तब हुई हैं, जब भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑफिशियल एलोकेशन अभी बाकी है। क्या है इन कंपनियों का प्लान? स्टारलिंक और अमेजन कुइपर दोनों ही भारत में लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के जरिए बिजनेस को बढ़ाने की तैयारी में हैं। ये कंपनियां न सिर्फ बिजनेस और सरकारी सेक्टर को टारगेट कर रही हैं, बल्कि रिटेल कंज्यूमर मार्केट में भी उतरने का प्लान बना रही हैं। हालांकि, रिटेल के लिए प्राइसिंग मॉडल अभी फाइनल नहीं हुआ है। मनीकंट्रोल के सूत्रों के मुताबिक, स्टारलिंक और अमेजन दोनों भारत में पार्टनरशिप्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कुछ VSAT कंपनियों के साथ डील्स पक्की कर ली हैं, जो खासतौर पर B2B और B2G सेगमेंट के लिए हैं। उनका मकसद भारत में अपनी सैटेलाइट कैपेसिटी का पूरा इस्तेमाल करना है।’ कौन हैं भारत के VSAT प्लेयर्स? भारत में प्रमुख VSAT कंपनियों में ह्यूजेस कम्युनिकेशंस, नेल्को और इनमारसैट शामिल हैं। स्टारलिंक और अमेजन कुइपर दोनों ही बिजनेस और रिटेल सेगमेंट में काम करना चाहते हैं। ये कंपनियां यूरोप की यूटेलसैट वनवेब से सीधा मुकाबला करेंगी, जो भारतीय पार्टनर्स के जरिए सर्विसेज देगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘स्टारलिंक और कुइपर भारत में हाइब्रिड मॉडल अपनाएंगे। वे डायरेक्ट सर्विसेज भी देंगे और पार्टनर्स के जरिए भी अपनी सर्विसेज बेचेंगे। स्टारलिंक ने पहले ही रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ पार्टनरशिप की ऐलान किया है। जल्द ही स्टारलिंक अपनी वेबसाइट के जरिए डायरेक्ट कंज्यूमर कनेक्शन भी शुरू करेगा।’ अमेजन कुइपर भी ऐसा ही मॉडल अपनाएगा और भारत की विविधता को देखते हुए किसी एक डिस्ट्रीब्यूटर पर निर्भर नहीं रहेगा। VSAT सर्विसेज का फायदा? VSAT सर्विसेज का इस्तेमाल आमतौर पर बैंक ब्रांच, एटीएम, रिमोट गैस स्टेशन, वेयरहाउस, रिटेल चेन, सेल्यूलर बैकहॉल, सी और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी और डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए होता है। LEO सैटेलाइट्स के जरिए मिलने वाली हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड से इन सेक्टर्स को काफी फायदा होगा। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां और सरकारी विभाग अभी कम कनेक्टिविटी के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन वे रिटेल ऑटोमेशन, रिमोट मॉनिटरिंग और AI ऑपरेशंस चाहते हैं। डिफेंस सेक्टर भी हाई-बैंडविड्थ की जरूरत रखता है, जो LEO सैटेलाइट्स से ही मुमकिन है। ह्यूजेस कम्युनिकेशंस का रोल ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया के CEO, प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर शिवाजी चटर्जी ने मनीकंट्रोल को बताया कि उनकी कंपनी भारत में सभी LEO सैटेलाइट प्लेयर्स के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा कि हम एक प्रमुख कंपनी हैं और B2B व B2G सेगमेंट में इन कंपनियों के लिए मैन गो-टू-मार्केट पार्टनर होंगे। स्टारलिंक को पिछले महीने ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशंस बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस मिला है। जिसके साथ वह भारत में कॉमर्शियल सैटकॉम सर्विस देने वाली तीसरी कंपनी बन गई है। हालांकि, उसे अभी IN-SPACe से मंजूरी मिलना बाकी है। अमेजन को GMPCS और IN-SPACe की मंजूरी का इंतजार एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि स्टारलिंक को जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। इसके अलावा टेलीकम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट (DoT) स्टारलिंक को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने की तैयारी में है, ताकि वह सिक्योरिटी टेस्ट पूरे कर सके। दूसरी ओर अमेजन कुइपर को GMPCS और IN-SPACe दोनों की मंजूरी का इंतजार है। कंपनी ने सिक्योरिटी और ऑपरेशनल चेक पूरे कर लिए हैं और उसका आवेदन जल्द ही इंटर-मिनिस्टीरियल कमेटी की मीटिंग में रिव्यू होगा। टेलीकम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट जल्द ही सैटेलाइट स्पेक्ट्रम एलोकेशन के नियम और कीमतें तय करेगा, जो टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की हालिया सिफारिशों पर आधारित होंगे। भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पेसएक्स (स्टारलिंक की पैरेंट कंपनी) के टॉप एग्जीक्यूटिव्स से मुलाकात की और भारत की डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सैटेलाइट टेक्नोलॉजी से मजबूत करने पर चर्चा की थी। स्टारलिंक और अमेजन कुइपर की भारत में एंट्री से सैटेलाइट ब्रॉडबैंड मार्केट में कॉम्पिटिशन बढ़ेगा। ये कंपनियां न सिर्फ बिजनेस और सरकारी सेक्टर को हाई-स्पीड इंटरनेट देंगी, बल्कि रिटेल कंज्यूमर्स के लिए भी नई संभावनाएं खोलेंगी।

  • स्मॉल सेविंग स्कीम की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं:दिसंबर-2023 के बाद से दरें नहीं बदलीं, PPF पर 7.1% ब्याज मिलता रहेगा
    on 30/06/2025 at 12:41 PM

    सरकार ने जुलाई-सितंबर (Q2FY26) के लिए स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। यह लगातार 6वीं तिमाही है, जब सरकार ने इन स्कीम्स की ब्याज दरें नहीं बदली हैं। सोमवार (30 जून) को वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर इस बात की जानकारी दी। इससे पहले, अप्रैल-जून (Q1FY26), जनवरी-मार्च (Q4FY25), अक्टूबर-दिसंबर (Q3FY25), जुलाई-सितंबर (Q2FY25) और अप्रैल-जून (Q1FY25) तिमाही में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। यानी, Q2FY26 तिमाही के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) और किसान विकास पत्र (KVP) सहित सभी स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज दर अपरिवर्तित रहेंगी। पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर 7.1% ब्याज दर अभी पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर 7.1% और सुकन्या समृद्धि योजना पर 8.2% ब्याज दर मिलती है। सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों पर फैसला लेने से पहले देश की लिक्विडिटी स्थिति और महंगाई पर भी नजर रखती है। हालांकि, PPF, NSC और KVP समेत छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की हर तीन महीने पर समीक्षा करती है। स्मॉल सेविंग्स स्कीमों पर ब्याज दरें 4% से 8.2% के बीच हैं। सरकार ने आखिरी बार दिसंबर 2023 में इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी की थी। ब्याज दरों का हर तिमाही में रिव्यू होता है स्मॉल सेविंग्स स्कीम की ब्याज दरों का हर तिमाही में रिव्यू होता है। इनकी ब्याज दरें तय करने का फॉर्मूला श्यामला गोपीनाथ समिति ने दिया था। समिति ने सुझाव दिया था कि इन स्कीम की ब्याज दरें समान मैच्योरिटी वाले सरकारी बॉन्ड के यील्ड से 0.25-1.00% ज्यादा होनी चाहिए। हाउसहोल्ड सेविंग का मेजर सोर्स हैं ये स्कीम स्मॉल सेविंग स्कीम भारत में हाउसहोल्ड सेविंग का मेजर सोर्स हैं और इसमें 12 इंस्ट्रूमेंट शामिल हैं। इन स्कीम्स में डिपॉजिटर्स को उनके पैसे पर तय ब्याज मिलता है। सभी स्मॉल सेविंग स्कीम्स से हुए कलेक्शन को नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (NSSF) में जमा किया जाता है। स्मॉल सेविंग स्कीम्स सरकारी घाटे के फाइनेंसिंग की सोर्स के रूप में उभरी हैं। क्लासिफिकेशन स्मॉल सेविंग इंस्ट्रूमेंट को तीन भागों में बांटा जा सकता है:

  • GST के 8 साल पूरे:पिछले 5 साल में दोगुनी हुई टैक्स वसूली; 2024-25 में हर महीने ₹1.84 लाख करोड़ टैक्स कलेक्शन
    on 30/06/2025 at 12:25 PM

    आज देश में GST लागू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 2017 को देश में GST लागू किया गया था। इस दौरान टैक्स कलेक्शन के आंकड़ों ने नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो 5 साल पहले 2020-21 में सिर्फ 11.37 लाख करोड़ था। यानी, 5 साल में टैक्स वसूली लगभग दोगुनी हो गई है। 2024-25 में हर महीने औसत GST कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपए रहा। ये 5 साल पहले 2020-21 में 95 हजार करोड़ रुपए था। टैक्सपेयर्स की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा बढ़ी GST लागू होने के वक्त 2017 में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.51 करोड़ से ज्यादा हो गई है। इससे सरकार का टैक्स बेस भी मजबूत हुआ है। सरकार का कहना है कि GST लागू होने के बाद टैक्स कलेक्शन और टैक्स बेस दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इससे देश की फिस्कल पोजिशन मजबूत हुई है और टैक्स सिस्टम ज्यादा पारदर्शी और आसान बना है। इतिहास में सबसे बड़ा टैक्स कलेक्शन अप्रैल 2025 में सरकार ने अप्रैल 2025 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 2.37 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। सालाना आधार पर इसमें 12.6% की बढ़ोतरी हुई थी। ये GST कलेक्शन का रिकॉर्ड है। इससे पहले हाईएस्ट जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड अप्रैल 2024 में बना था। तब सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। इकोनॉमी की हेल्थ दिखाता है GST कलेक्शन जीएसटी कलेक्शन इकोनॉमिक हेल्थ का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। हायर कलेक्शन मजबूत उपभोक्ता खर्च, औद्योगिक गतिविधि और प्रभावी कर अनुपालन का संकेत देते हैं। अप्रैल महीने में बिजनेसेज अक्सर मार्च से वर्ष के अंत के लेन-देन को क्लियर करते हैं, जिससे टैक्स फाइलिंग्स और कलेक्शन्स में वृद्धि होती है। KPMG के नेशनल हेड अभिषेक जैन ने कहा कि अब तक का हाईएस्ट GST कलेक्शन मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। 2017 में लागू हुआ था GST सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में GST लागू किया था। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों के 17 करों और 13 उपकरों को हटा दिया गया था। GST के 7 साल पूरे होने पर वित्त मंत्रालय ने पिछले सात वर्षों के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों को लेकर पोस्ट किया। GST एक इनडायरेक्ट टैक्स है। इसे कई तरह के इनडायरेक्ट टैक्स जैसे VAT, सर्विस टैक्स, परचेज टैक्स, एक्साइज ड्यूटी को रिप्लेस करने के लिए 2017 में लागू किया गया था। GST में 5, 12, 18 और 28% के चार स्लैब हैं। GST को चार हिस्सों में डिवाइड किया गया है:

  • मणिपाल पेमेंट्स एंड आइडेंटिटी सॉल्यूशंस ने DRHP फाइल किया:IPO से ₹1200 करोड़ जुटाने का प्लान, वैल्यूएशन ₹12,000 करोड़ होने की उम्मीद
    on 30/06/2025 at 9:52 AM

    मणिपाल पेमेंट्स एंड आइडेंटिटी सॉल्यूशंस लिमिटेड (MPISL) ने हाल ही में अपने इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया है। यह कंपनी भारत में पेमेंट और आइडेंटिटी कार्ड्स की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी इस IPO के जरिए करीब 1200 करोड़ रुपए जुटाने का प्लान बना रही है। इस IPO के बाद कंपनी की वैल्यूएशन लगभग 12,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। कंपनी ने 28 जून को कॉन्फिडेंशियल तरीके से DRHP फाइल किया था, जिसमें प्राइमरी और सेकेंडरी शेयर की सेल्स शामिल है। IPO के बाद प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 51% रहेगी MPISL के प्रमोटर्स गौतम पाई फैमिली के पास कंपनी में 60% हिस्सेदारी है, जबकि बाकी 40% हिस्सेदारी न्यूवामा वेल्थ मैनेजमेंट जैसे इंस्टीट्यूशनल और पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास है। सूत्रों ने बताया कि IPO के बाद प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी 51% बनाए रखना चाहते हैं। IPO से मिलने वाली रकम का बड़ा हिस्सा प्रमोटर-लेवल की एक यूनिट के कर्ज को चुकाने में इस्तेमाल होगा। इस साल अप्रैल में मनीकंट्रोल ने बताया था कि प्रमोटर कंपनियों मणिपाल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (MTL) और मणिपाल मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड ने MPISL में अपनी 6% हिस्सेदारी न्यूवामा को बेची थी। इसके अलावा 1.5% हिस्सेदारी कुछ फैमिली ऑफिसेज को बेची गई। इन सेल्स से मिले पैसे का इस्तेमाल ब्लैकरॉक और हॉन्ग कॉन्ग की एसेट मैनेजमेंट कंपनी SC Lowy फाइनेंशियल लिमिटेड से लिए गए फॉरेन करेंसी लोन को चुकाने में किया जा रहा है। क्रेडिट-डेबिट, स्मार्ट और गवर्नमेंट ID बनाती है MPISL MPISL क्रेडिट, डेबिट, स्मार्ट और गवर्नमेंट ID जैसे कार्ड्स बनाती है और इसके ग्राहकों में बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंक, फिनटेक कंपनियां और सरकारी डिपार्टमेंट्स शामिल हैं। कंपनी के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स को वीजा, मास्टरकार्ड और यूरोपे द्वारा सर्टिफाइड किया गया है। इसके अलावा कंपनी ने थाईलैंड की चान वानिच सिक्योरिटी प्रिंटिंग और कोलंबिया की थॉमस ग्रेग एंड संस के साथ टेक्निकल पार्टनरशिप की है। IPO से पहले कंपनी ने अपने बोर्ड और गवर्नेंस सिस्टम को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। हाल ही में बिनॉय परिख को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया। इस साल शेयर बाजार में लिस्ट होने की तैयारी में है कंपनी कंपनी इस वित्तीय वर्ष में शेयर बाजार में लिस्ट होने की तैयारी में है। MPISL की मजबूत बाजार स्थिति और बड़े ग्राहक आधार को देखते हुए इस IPO पर निवेशकों की नजर रहेगी। यह IPO न केवल कंपनी के लिए एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत के तेजी से बढ़ते पेमेंट और आइडेंटिटी सॉल्यूशंस सेक्टर में भी एक बड़ा इवेंट होगा।

  • ट्रेन निकलने से 8 घंटे पहले कन्फर्म होगा टिकट:अभी 4 घंटे पहले चार्ट बनने पर पता चलता है; रेलवे देशभर में लागू करेगा नियम
    on 30/06/2025 at 7:52 AM

    अब ट्रेनों का रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन निकलने से 8 घंटे पहले तैयार किया जाएगा। अभी तक यह चार्ट सिर्फ 4 घंटे पहले बनता था। इससे यात्रियों को टिकट कन्फर्म नहीं होने पर वैकल्पिक यात्रा या दूसरा टिकट बुक करने के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा। ये फैसला हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक के बाद लिया गया है। रेलवे बोर्ड जल्द ही इन बदलावों को फेज वाइज लागू करेगा। अब तीन जरूरी सवालों के जवाब: सवाल 1: यह नियम कब से लागू होगा? जवाब: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे बोर्ड को इस बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्देश दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसे 1 जुलाई, 2025 से शुरू करने की योजना है। शुरुआत में इसे कुछ खास ट्रेनों पर लागू किया जाएगा। सवाल 2: क्या यह नियम सभी ट्रेनों के लिए है? जवाब: हां, यह नियम मुख्य रूप से लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए है। लेकिन शुरुआत में इसे चुनिंदा ट्रेनों, जैसे हमसफर श्रेणी की ट्रेनों पर लागू किया जाएगा। बाद में इसे राजधानी, शताब्दी, मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट जैसी अन्य ट्रेनों तक बढ़ाया जाएगा। सवाल 3: सुबह जल्दी छूटने वाली ट्रेनों का क्या होगा? जवाब: जिन ट्रेनों का डिपार्चर दोपहर 2 बजे से पहले है, उनका चार्ट एक दिन पहले रात 9 बजे तैयार होगा। उदाहरण के लिए अगर ट्रेन सुबह 8 बजे की है तो उसका चार्ट रात 9 बजे बन जाएगा। इससे सुबह की ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को भी पर्याप्त समय मिलेगा। पिछले महीने ये 2 बदलाव कर चुका रेलवे… 1. वेटिंग टिकट पर स्लीपर-AC कोच में सफर नहीं कर सकेंगे इससे पहले भारतीय रेलवे ने 1 मई से वेटिंग टिकट के लिए नए नियम लागू किए थे। इनके अनुसार, वेटिंग लिस्ट टिकट वाले यात्रियों को अब स्लीपर या AC कोच में यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। जिन यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में हैं, वे अब सिर्फ जनरल कोच में ही सफर कर सकेंगे। अगर कोई यात्री वेटिंग टिकट पर AC या स्लीपर कोच में यात्रा करता हुआ पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना लगेगा। उल्लंघन के लिए जुर्माना: इसके अलावा, आपको ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से लेकर उस स्टेशन तक का किराया देना होगा, जहां आप पकड़े गए हैं। 2. तत्काल टिकट के लिए आधार जरूरी 1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट बुकिंग के लिए IRCTC की वेबसाइट या एप पर आधार ऑथेंटिकेशन जरूरी होगा। इसके अलावा, 15 जुलाई से ऑनलाइन तत्काल बुकिंग के लिए आधार नंबर से जुड़ा OTP भी लगेगा। इन बदलावों का मकसद टिकट बुकिंग में पारदर्शिता लाना और दलालों या फर्जी एजेंट्स की मनमानी पर रोक लगाना है। तत्काल टिकट बुकिंग के नए नियम 10 सवाल-जवाब में समझें… सवाल 1. तत्काल टिकट बुकिंग के नियम क्यों लाए गए हैं? जवाब: कई बार ऐसा देखा गया कि तत्काल टिकट शुरू होते ही कुछ ही मिनटों में बिक जाते थे, क्योंकि दलाल और फर्जी एजेंट्स सॉफ्टवेयर या गलत तरीकों से टिकट बुक कर लेते थे। इससे आम यात्रियों को टिकट मिलना मुश्किल हो जाता था। नए नियमों का मकसद यही है कि टिकट बुकिंग का मौका सिर्फ असली यात्रियों को मिले और फर्जीवाड़ा रुके। आधार वेरिफिकेशन से ये सुनिश्चित होगा कि टिकट वही बुक कर रहा है, जिसका आधार नंबर रजिस्टर्ड है। पहले 30 मिनट तक AC और नॉन-AC दोनों क्लास के लिए एजेंट्स को टिकट बुक करने की इजाजत नहीं होगी। सवाल 2. आधार ऑथेंटिकेशन कैसे काम करेगा? जवाब: अगर आप IRCTC की वेबसाइट या ऐप से तत्काल टिकट बुक कर रहे हैं, तो आपको पहले अपने आधार नंबर को अपने IRCTC अकाउंट से लिंक करना होगा। जब आप टिकट बुक करने जाएंगे, तो आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक OTP आएगा। ये OTP डालने के बाद ही आपकी बुकिंग कन्फर्म होगी। काउंटर पर भी यही प्रोसेस होगा, जहां आपको आधार नंबर देना होगा और OTP वेरिफाई करना होगा। सवाल 3. अगर मेरे पास आधार कार्ड नहीं है, तो क्या मैं तत्काल टिकट बुक नहीं कर पाऊंगा? जवाब: फिलहाल नए नियमों के मुताबिक आधार ऑथेंटिकेशन जरूरी है। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है, तो तत्काल टिकट बुक करना मुश्किल हो सकता है। बिना आधार के टिकट बुक करने का कोई और तरीका रेलवे की ओर से दी गई जानकारी में नहीं बताया गया है। रेल मंत्रालय ने तत्काल टिकट बुकिंग के नियमों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। सवाल 4. पहले 30 मिनट तक एजेंट्स को बुकिंग से क्यों रोका गया है? जवाब: तत्काल टिकट की बुकिंग सुबह शुरू होती है- AC के लिए 10 बजे और नॉन-AC के लिए 11 बजे। पहले देखा गया कि एजेंट्स इन शुरुआती मिनटों में ही ज्यादातर टिकट बुक कर लेते थे, जिससे आम लोग चूक जाते थे। अब पहले 30 मिनट तक सिर्फ आम यात्री ही टिकट बुक कर पाएंगे। इससे आम लोगों को टिकट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। सवाल 5. काउंटर से टिकट बुक करने वालों के लिए क्या बदलाव है? जवाब: अगर आप रेलवे स्टेशन के काउंटर से तत्काल टिकट बुक करते हैं, तो 15 जुलाई 2025 से आपको आधार नंबर देना होगा। काउंटर पर आपका आधार वेरिफिकेशन OTP के जरिए होगा। यानी, आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना चाहिए, ताकि OTP आ सके। अगर आप किसी और के लिए टिकट बुक कर रहे हैं, तो भी उस यात्री का आधार नंबर और OTP चाहिए होगा। सवाल 6. क्या ये नियम सिर्फ तत्काल टिकट के लिए हैं? जवाब: हां, ये नियम सिर्फ तत्काल टिकट बुकिंग के लिए हैं। सामान्य टिकट या वेटिंग लिस्ट टिकट के लिए आधार ऑथेंटिकेशन की जरूरत नहीं बताई गई है। सवाल 7. अगर मैं किसी एजेंट से टिकट बुक करवाऊं, तो क्या होगा? जवाब: पहले 30 मिनट तक तो एजेंट्स तत्काल टिकट बुक ही नहीं कर पाएंगे। उसके बाद भी, अगर कोई एजेंट टिकट बुक करता है, तो उसे भी आधार और OTP वेरिफिकेशन करना होगा। सवाल 8. अगर मुझे कोई दिक्कत आए, तो क्या करूं? जवाब: अगर आपको टिकट बुक करने में कोई परेशानी हो, जैसे OTP न आए या आधार लिंक न हो, तो आप IRCTC हेल्पलाइन (139) पर कॉल कर सकते हैं। आप चाहें तो नजदीकी रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर भी मदद मांग सकते हैं। आधार से जुड़ी दिक्कत हो, तो UIDAI की हेल्पलाइन (1947) पर संपर्क करें। सवाल 9. क्या मुझे अपने IRCTC अकाउंट में आधार लिंक करने की जरूरत है? जवाब: हां, अगर आप ऑनलाइन तत्काल टिकट बुक करना चाहते हैं, तो अपने IRCTC अकाउंट में आधार नंबर लिंक करना जरूरी है। आप IRCTC की वेबसाइट या ऐप पर लॉगिन करके “My Profile” सेक्शन में जाकर आधार डिटेल्स जोड़ सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक हो, वरना OTP नहीं आएगा। सवाल 10. क्या ये नियम पूरे भारत में लागू होंगे? जवाब: हां, ये नियम पूरे भारत में सभी रेलवे जोन में लागू होंगे, जहां तत्काल टिकट की सुविधा है। चाहे आप दिल्ली से मुंबई का टिकट बुक करें या कोलकाता से चेन्नई का, आधार ऑथेंटिकेशन हर जगह जरूरी होगा। एक मिनट में 1.5 लाख टिकट बुक हो सकेंगी रेलवे दिसंबर 2025 तक अपना पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) भी अपग्रेड करेगा। नए सिस्टम में एक मिनट में 1.5 लाख टिकट बुकिंग हो सकेंगी, जो अभी के 32 हजार के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है। नया PRS मल्टी-लैंग्वेज और यूजर-फ्रेंडली होगा, जिसमें सीट चुनने, फेयर कैलेंडर देखने और दिव्यांग, स्टूडेंट्स व मरीजों के लिए खास सुविधाएं मिलेंगी। —————————————- रेलवे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें रेल किराया बढ़ाने की तैयारी, 1 जुलाई से लागू होगा:AC में 1000 किमी के सफर पर ₹20 ज्यादा लगेंगे, 5 सवाल-जवाब से समझें बदलाव रेल का सफर 1 जुलाई से महंगा हो सकता है। नॉन-एसी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के किराए में 1 पैसा प्रति किलोमीटर और एसी क्लास के किराए में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। पूरी खबर पढ़ें…

  • कर्नाटक बैंक के CEO और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का इस्तीफा:शेयर करीब 6% टूटा; मई में बैंक ऑडिटर्स ने कुछ खर्चों पर सवाल उठाए थे
    on 30/06/2025 at 7:35 AM

    कर्नाटक बैंक के CEO और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के इस्तीफे के बाद आज यानी, 30 जून को बैंक के शेयर में करीब 6% की गिरावट रही। ये 196 रुपए पर बंद हुआ। बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्रीकृष्णन हरिहर शर्मा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शेखर राव के इस्तीफे की खबर रविवार देर रात सामने आई थी। मुंबई जाना चाहते हैं श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा श्रीकृष्णन ने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि वे मुंबई वापस जाना चाहते हैं। उनका इस्तीफा 15 जुलाई, 2025 से प्रभावी होगा। शर्मा के पास 40 साल से ज्यादा का बैंकिंग अनुभव है। उन्हें मई 2023 में कर्नाटक बैंक ने तीन साल के कार्यकाल के लिए पहला बाहरी सीईओ नियुक्त किया था। शेखर राव ने निजी कारणों को इस्तीफे का कारण बताया वहीं, शेखर राव ने मंगलुरु में रहने में असमर्थता और अन्य निजी कारणों का जिक्र करते हुए इस्तीफा दिया है। उनका इस्तीफा 31 जुलाई, 2025 से लागू होगा। शेखर राव को कर्नाटक बैंक में 1 फरवरी, 2023 को एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए थी। इस तरह, जून 2025 तक शेखर राव कर्नाटक बैंक के साथ लगभग 2 साल और 5 महीने से जुड़े हुए थे। ऑडिटर्स ने खर्चों को लेकर सवाल उठाए थे हालांकि, खबरों के मुताबिक, इन इस्तीफों के पीछे बोर्ड और मैनेजमेंट के बीच कुछ समय से चल रही तनातनी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। मई 2025 में बैंक के ऑडिटर्स ने कुछ खर्चों को लेकर सवाल उठाए थे, जिनमें 1.53 करोड़ रुपए की राशि शामिल थी। यह खर्च कंसल्टेंट्स को नियुक्त करने और अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था, लेकिन इसे बोर्ड की मंजूरी नहीं मिली थी। ऑडिटर्स ने इसे अनधिकृत खर्च बताया और इसे संबंधित डायरेक्टर्स से वसूल करने की बात कही। इस मुद्दे पर बोर्ड और मैनेजमेंट के बीच मतभेद सामने आए। बैंक बोला- ऑडिटर्स के सवालों को सुलझा लिया बैंक ने यह भी बताया कि कुछ अन्य अंतरिम व्यवस्थाएं की जा रही हैं, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मंजूरी के अधीन होंगी। इसके अलावा, 2024-25 के ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट में ऑडिटर्स द्वारा उठाए गए सवालों को बैंक ने सुलझा लिया है और इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। नई नियुक्ति के लिए बैंक ने सर्च कमेटी बनाई इन इस्तीफों के बाद कर्नाटक बैंक ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नए एमडी और सीईओ के साथ-साथ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए एक सर्च कमेटी बनाई है। यह कमेटी जल्द से जल्द उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश करेगी ताकि बैंक का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे। इसके साथ ही, बैंक ने राघवेंद्र श्रीनिवास भट को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) नियुक्त किया है, जो 2 जुलाई, 2025 से अपना कार्यभार संभालेंगे। राघवेंद्र एक अनुभवी बैंकर हैं और मंगलुरु में बैंक के मुख्यालय में काम करेंगे। नेतृत्व परिवर्तन से निवेशकों का भरोसा डगमगाया इन इस्तीफों का असर कर्नाटक बैंक के शेयरों पर भी देखने को मिला। बैंक के शेयर 6% तक गिर गए। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अचानक नेतृत्व परिवर्तन और ऑडिट से जुड़े सवालों ने निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह घटना बैंक के कॉरपोरेट गवर्नेंस और आंतरिक नियंत्रणों पर सवाल उठाती है, जिससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है।

  • ITR भरने पर आसानी से मिलता है लोन:सालाना कमाई ढाई लाख से कम है तब भी फाइल करें, जानें इसके 4 फायदे
    on 30/06/2025 at 6:57 AM

    फाइनेंशियल ईयर (वित्त वर्ष) 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR भरने की प्रोसेस शुरू हो चुकी है। इस बार 15 सितंबर 2025 तक इनकम टैक्‍स रिटर्न (ITR) फाइल करना है। कई लोगों का मानना है कि अगर उनकी सालाना इनकम ढाई लाख से कम है और वो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं तो उन्हें ITR भरने की जरूरत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आप इनकम टैक्स के दायरे में नहीं भी आते हैं तब भी आपको रिटर्न फाइल करना चाहिए, क्योंकि अगर आप ITR फाइल करते हैं तो इससे आपको कई फायदे होते हैं। ITR फाइल करने से लोन मिलने में आसानी होती है। हम आपको ITR फाइल करने के 4 फायदों के बारे में बता रहे हैं। सबसे पहले जानें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) क्या होता है? इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) एक तरह का हिसाब है, जो आप सरकार को देते हैं। इसमें आप बताते हैं कि पिछले साल आपकी कितनी कमाई हुई, किस कमाई पर टैक्स चुकाना है और कितना टैक्स आपने एडवांस में भर दिया है। इससे पता चलता है कि टैक्स के रूप में आप सरकार को कुछ और पैसे देंगे या सरकार आपको कुछ पैसे वापस करेगी। 1. लोन मिलने में आसानी ITR आपकी इनकम का प्रूफ होता है। इसे सभी बैंक और NBFC इनकम प्रूफ के तौर पर स्‍वीकार करते हैं। अगर आप बैंक लोन के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक कई बार ITR मांगते हैं। अगर आप नियमित तौर पर ITR फाइल करते हैं तो आपको बैंक से आसानी से लोन मिल जाता है। इसके अलावा आप किसी भी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से लोन के अलावा दूसरी सेवाएं भी आसानी से हासिल कर सकते हैं। 2. वीजा के लिए जरूरी अगर आप किसी दूसरे देश में जा रहे हैं तो वीजा के लिए जब आप आवेदन करते हैं तो आपसे इनकम टैक्‍स रिटर्न मांगा जा सकता है। कई देशों की वीजा अथॉरिटीज वीजा के लिए 3 से 5 साल का ITR मांगते हैं। ITR के जरिए वे चेक करते हैं कि जो आदमी उनके देश में आना चाहता है कि उसका फाइनेंशियल स्टेटस क्‍या है। 3. टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए अगर आपकी आमदनी से टैक्स काटकर सरकार के पास जमा करा दिया गया है तो आप ITR फाइल किए बिना उसे वापस नहीं पा सकते, भले ही आपकी आमदनी इनकम टैक्स में बेसिक एग्जंप्शन लिमिट के अंदर ही हो। आपको अगर टैक्स रिफंड क्लेम करना है तो इसके लिए ITR दाखिल करना जरूरी है। आप जब ITR दाखिल करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसका असेस्मेंट करता है। आपका अगर रिफंड बनता है तो वह सीधे बैंक अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है। 4. घाटे को कैरी फॉरवर्ड करना रहता है आसान अगर आप शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और आपको घाटा होता है तो घाटे को अगले साल कैरी फारवर्ड कराने के लिए निर्धारित समय सीमा में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है, क्योंकि अगले साल आपको अगर कैपिटल गेन होता है तो यह घाटा इस फायदे से एडजस्ट होगा और आपको लाभ पर टैक्स छूट का फायदा मिल सकता है।

  • आज सोना-चांदी के दाम में तेजी:सोना ₹102 बढ़कर ₹95,886 पर पहुंचा, चांदी ₹1.06 लाख किलो बिक रही
    on 30/06/2025 at 6:50 AM

    सोने-चांदी के दाम में आज यानी 30 जून को बढ़त रही। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार 24 कैरेट सोने का दाम ₹102 बढ़कर ₹95,886 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले इसका दाम ₹95,784 पर था। वहीं चांदी की कीमत ₹317 बढ़कर ₹1,05,510 प्रति किलोग्राम हो गई है। इससे पहले ये ₹1,05,193 पर थी। वहीं 18 जून को चांदी ने ₹1,09,550 और सोने ने ₹99,454 का ऑल टाइम हाई बनाया था। कैरेट के हिसाब से सोने की कीमत भोपाल सहित 4 महानगरों में 10 ग्राम सोने की कीमत इस साल अब तक ₹19,724 महंगा हुआ सोना इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 19,724 रुपए बढ़कर 95,886 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 19,493 रुपए बढ़कर 1,05,510 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था। सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।

बजट 2025 | दैनिक भास्कर Budget-2025 Hindi News; Read Latest Union Budget News, Opinion Articles and Updates, Finance Minister Income Tax Announcement and Key Points on Budget 2025 at Dainik Bhaskar.

  • बजट सत्र:भाजपा ने सोनिया गांधी-पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया; दोनों ने राष्ट्रपति पर विवादित कमेंट किया था
    on 02/02/2025 at 10:54 PM

    भाजपा सांसदों ने सोमवार को कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू पर किए सोनिया और पप्पू यादव के कमेंट पर नोटिस दिया गया है। भाजपा के नोटिस में लिखा गया- सोनिया गांधी-पप्पू यादव ने सर्वोच्च पद की गरिमा को कम करने के इरादे से भारत के राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय शब्दों का उपयोग किया है। इसलिए संसदीय विशेषाधिकार, नैतिकता और मर्यादा के उल्लंघन का नोटिस पेश किया। दरअसल, 31 जनवरी को बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर ने दोनों सदनों को संबोधित किया था। उनके अभिभाषण पर सोनिया गांधी ने द्रौपदी मुर्मू के लिए ‘बेचारी’ शब्द इस्तेमाल किया था। सोनिया ने कहा था कि अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक गईं थीं। बह बेचारी मुश्किल से बोल पा रही थीं। पप्पू यादव ने टिप्पणी में कहा था कि राष्ट्रपति रबर स्टैंप की तरह हैं। वे बस लव लेटर पढ़ती रहती हैं। वहीं, राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति के भाषण को बोरिंग बताया था। पप्पू यादव बोले- भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है विशेषाधिकार हनन का नोटिस पर पप्पू यादव ने कहा, ‘भारत के राष्ट्रपति 140 करोड़ भारतीयों के लिए एक सम्मानजनक पद है। भाजपा या किसी अन्य पार्टी की आलोचना करना राष्ट्रपति की आलोचना नहीं है। भाजपा हमेशा मुख्य मुद्दे से भटकाने की कोशिश करती है। मैंने एक निश्चित संदर्भ में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बारे में बयान दिया था। अगर मेरे किसी बयान से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूं और माफी भी मांगता हूं।’ उन्होंने कहा कि भाजपा प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के खिलाफ भी अपमानजनक बयान देते थे। मेरा राष्ट्रपति की कुर्सी का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति वही बोलेंगी जो सरकार को कहना है, इसलिए मैंने कहा कि यह भाजपा का प्रेम पत्र था। संसद की आज की कार्यवाही पढ़ने के लिए ब्लॉग से गुजर जाइए…

  • आज का एक्सप्लेनर:ओल्ड टैक्स रिजीम को मौत का इंजेक्शन, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसे खर्च करें; क्या इससे नुकसान होगा
    on 01/02/2025 at 11:46 PM

    2025 के बजट में 12 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स की घोषणा ने सारी महफिल लूट ली। लेकिन ये छूट सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम चुनने वालों के लिए है। ओल्ड टैक्स रिजीम वालों को राहत देना तो दूर, वित्तमंत्री ने जिक्र तक नहीं किया। क्या बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाली ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म हो जाएगी, सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा खर्च करें और इसका क्या इम्पैक्ट होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में… सवाल-1: क्या ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म कर दिया जाएगा? जवाब: भारत में दो तरह की टैक्स व्यवस्था है… पहली- पहले से चली आ रही ओल्ड टैक्स रिजीम। जिसमें HRA, LTA, 80C और 80D जैसी तमाम छूट देकर बचत और निवेश को बढ़ावा दिया जाता है। दूसरी- न्यू टैक्स रिजीम, जिसे सरकार ने 2020 में लॉन्च किया था। इसमें छूट न देकर टैक्स रेट कम किए गए, जिससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचे। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक 2025 के बजट में ओल्ड टैक्स रिजीम को सही मायने में इंजेक्शन दे दिया है। वो धीरे-धीरे अपनी मौत मर जाएगा। न्यू टैक्स वालों को 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं। इस घोषणा के बाद पुरानी टैक्स रिजीम में बने रहने का कोई आकर्षण नहीं बचा है। सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में पुराने टैक्स को खत्म करने की समय सीमा दी जा सकती है। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद आयोजित की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, देशभर के 75% टैक्सपेयर पहले ही पुरानी टैक्स व्यवस्था को छोड़कर नई टैक्स व्यवस्था में आ गए हैं। हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे सभी टैक्सपेयर ऐसा करेंगे। सवाल-2: सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम क्यों खत्म करना चाहती है? जवाब: एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन 4 बड़ी वजहों से सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करना चाहती है… 1. टैक्स स्ट्रक्चर को आसान करना: ओल्ड टैक्स रिजीम बेहद कॉम्प्लेक्स है। इसमें 80C, 80D और HRA जैसी कई छूट और कटौती का फायदा मिलता था। इससे टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरना बहुत मुश्किल और बोझिल है। सरकार को भी इस रिजीम के साथ काम करने में दिक्कतें आती हैं। 2. टैक्स चोरी रोकना: सरकार का मानना है कि कम छूट और कम कटौती से टैक्स चोरी या हेरफेर को रोका जा सकता है। टैक्स से बचने के लिए लोग फर्जीवाड़ा करते हैं और झूठे दस्तावेज का इस्तेमाल करते हैं। 3. ज्यादा लोगों से टैक्स भरवाना: न्यू टैक्स रिजीम में नियम-कानून कम हैं। नई रिजीम में आसान सुविधाएं मिलने से ज्यादा लोग टैक्स भरेंगे, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी। 4. नई रिजीम का मैनेजमेंट सस्ता: पुरानी टैक्स रिजीम में कई छूटों और कटौतियों पर नजर रखने के लिए ज्यादा अधिकारियों की जरूरत होती है। नई रिजीम से मैनपावर कम किया जा सकेगा। सवाल-3: ओल्ड टैक्स रिजीम में बचत और निवेश को बढ़ावा देने वाले क्या प्रावधान हैं? जवाबः पुरानी व्यवस्था निवेश और बचत को बढ़ावा देने वाली है। कुछ प्रमुख प्रावधान… सवाल-4: ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म होने से क्या इम्पैक्ट पड़ेगा? जवाब: ओल्ड टैक्स रिजीम के खत्म होने से 3 बड़े इम्पैक्ट पड़ सकते हैं… 1. बचत और निवेश की जगह खर्च बढ़ेगा टैक्स एक्सपर्ट सीए बलवंत जैन बताते हैं कि अब करीब 98% टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम को चुनेंगे और सरकार भी यही चाहती है। ऐसा होने से लोग इन्वेस्ट करने के बजाय खर्च ज्यादा करेंगे। इससे GDP और प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सरकार का GST कलेक्शन बढ़ेगा। लेकिन इसका नेगेटिव असर भी होगा। दरअसल, ओल्ड टैक्स रिजीम में छूट के लिए लोग PF, NPS, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश करते थे, जो उनके रिटायरमेंट के बाद काम आते थे। लेकिन न्यू टैक्स रिजीम चुनने वाली आज की वर्किंग जनरेशन खर्च करने पर ज्यादा भरोसा करती है। ऐसे में उनका रिटायरमेंट प्लान तैयार नहीं होगा। यानी इनका भविष्य खतरे में रह सकता है। 2. मिडिल क्लास की जेब पर बुरा असर पुरानी रिजीम के तहत इनकम टैक्स में छूट मिलने के बहुत से इन्वेस्टमेंट ऑप्शन था। जो लोगों को टैक्स बचाने में मदद करते थे। PPF, ELSS और NSC जैसे ऑप्शन से टैक्सपेयर्स कई हद तक टैक्स बचा लेते थे। अब नई रिजीम के तहत यह छूट नहीं मिलेगी। इससे आम आदमी की सेविंग्स पर बुरा असर पड़ेगा। 3. सामाजिक कामों में कमी होगी कम छूट के साथ धर्मार्थ दान कम हो जाएगा यानी दक्षिणा या सोशल वर्क के लिए जो पैसा दिया जाता था, वो अब बंद हो जाएगा। पुरानी टैक्स रिजीम में दान में दिए हुए पैसे पर टैक्स नहीं लगता था। इससे NGO और सोशल वर्किंग के लिए पैसा नहीं मिलेगा। हालांकि, लोग नई रिजीम के बाद दान देना चाहते हैं, तो यह टैक्स के दायरे में आएगा। सवाल-5: सरकार क्यों चाहती है लोग ज्यादा पैसा खर्च करें? जवाब: सीनियर बिजनेस जर्नलिस्ट शिशिर सिन्हा के मुताबिक 2025 के बजट में सरकार ने कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं Virtuous Cycle यानी सुचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इस सुचक्र से FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। सवाल-6: क्या अभी भी कोई ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना चाहेगा? जवाब: इसे आसान भाषा में समझने के लिए दोनों टैक्स के बीच अंतर को समझना होगा। न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री है, लेकिन ओल्ड रिजीम ज्यों की त्यों रखी गई है। ओल्ड रिजीम में पीपीएफ, एनएससी, लाइफ इंश्योरेंस और एनपीएस जैसी चीजों में इन्वेस्ट करने पर टैक्स में छूट मिलती है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कोई इंसान हाई सैलरी कैटेगरी में आता है और उसे कंपनी से HRA जैसी सुविधा मिलती है, तो कुछ केस में ओल्ड टैक्स रिजीम अभी भी बेहतर है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान के मुताबिक अगर आपकी सालाना आय ₹40 लाख है और HRA ₹12 लाख तक है, तो पुरानी व्यवस्था अभी भी फायदेमंद है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या 1% से भी कम होगी। ————– बजट से जुड़ी अन्य खबर पढ़ें बजट 2025: ₹12 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री, चुनाव वाली दिल्ली में 40 लाख करदाता; 77 मिनट के भाषण में 9 बार बिहार सीतारमण ने शनिवार को ₹50.65 लाख करोड़ का बजट पेश किया। बजट में नौकरीपेशा के लिए 12.75 लाख और बाकी करदाताओं के लिए 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री करने का ऐलान किया। ऐसा कर सरकार ने मध्यम वर्ग को साधा और दिल्ली को भी जहां 4 दिन बाद 5 फरवरी को वोटिंग है। पूरी खबर पढ़ें…

  • बजट 2025- एक्सपर्ट एनालिसिस:12 लाख तक टैक्स नहीं, फिर 10% स्लैब क्यों; 1 लाख करोड़ का घाटा उठाकर भी फायदे में सरकार
    on 01/02/2025 at 11:44 PM

    वित्त मंत्री का 1 घंटे 17 मिनट लंबा बजट भाषण और करीब 50 लाख करोड़ रुपए का बजट। आम लोगों के लिए इसे पूरी तरह समझना बेहद मुश्किल है। इसीलिए भास्कर के 3 एक्सपर्ट्स ने आसान भाषा में इस बजट की 8 जरूरी बातें डिकोड की हैं, जिन्हें आपको जानना चाहिए… 1. 12.75 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं, लेकिन शर्तें लागू* ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगें मिले न भीख’… इस बार के बजट में मिडिल क्लास को वो मोती मिल ही गया है। 12 लाख तक की कमाई पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों को 75 हजार रुपए का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगा। यानी 12.75 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री। लेकिन इसमें 2 शर्तें लागू हैं… i. ये बदलाव सिर्फ नए टैक्स रिजीम वालों के लिए हुआ है। यानी जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा। ii. ये फायदा खासतौर पर उन्हें मिलेगा, जिनकी इनकम सैलरी से आती है। अगर आपने कैपिटल गेन किया है यानी शेयर मार्केट में पैसा लगाया, म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया, घर की खरीद-फरोख्त की और उस पर टैक्स की देनदारी है, तो ये व्यवस्था लागू नहीं होगी। इन आंकड़ों को देखने के बाद मन में ये सवाल उठ सकता है कि अगर 12 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं लगेगा, तो फिर 4-12 लाख रुपए तक की कमाई पर 5 से 10 प्रतिशत टैक्स का प्रावधान क्यों है। इसे आसान भाषा में समझें तो पहले 7 लाख तक की आय पर 87A की तहत जो छूट मिलती थी, उसकी लिमिट बढ़ाकर 12 लाख कर दी गई है। 2. सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए का घाटा होगा इनकम टैक्स पर हुए ऐलान के बाद केंद्र सरकार को डायरेक्ट टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपए, वहीं इनडायरेक्ट टैक्स में 2,600 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान हो सकता है। हालांकि इनमें से एक बड़ा हिस्सा वापस सरकार के पास आ जाएगा। उदाहरण के लिए- अगर टैक्स में बदलाव से आपके 10 हजार रुपए बचे। इनमें से आपने 8 हजार रुपए की शॉपिंग कर ली, तो GST, कस्टम ड्यूटी जैसी चीजों से इसका एक हिस्सा वापस सरकार के पास पहुंच जाएगा। इसलिए सरकार को बहुत नुकसान नहीं होगा। 3. लोगों के हाथ में पैसे आएंगे, वो ज्यादा खर्च करेंगे तो इकोनॉमी बूस्ट होगी देश में 85% लोग 12 लाख रुपए से कम कमाते हैं। टैक्स को लेकर हुए ऐलान के बाद लोगों के पास पैसे बचेंगे और लोग यह पैसे दूसरी चीजों पर खर्च करेंगे। इससे FMCG, ऑटो, रियल एस्टेट और दूसरे सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। ये बजट ऐसा है जिसमें कंजम्पशन लेड ग्रोथ यानी उपभोग के जरिए विकास को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए आपको एक छोटा सा अर्थशास्त्रीय सिद्धांत समझना होगा, जिसको कहते हैं virtuous cycle यानी सूचक्र। इसका सार यही है कि एक अच्छी चीज से दूसरी अच्छी चीज शुरू होती है। इनकम टैक्स में बदलाव से लोगों के हाथ में अतिरिक्त पैसे आएंगे। अब इस पैसे का यदि आप एक हिस्सा भी खर्च करते हैं तो इससे कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने का मौका मिलेगा। उत्पादन बढ़ेगा तो रोजगार के मौके बनेंगे। रोजगार के मौके बनेंगे तो लोगों के हाथ में पैसे आएंगे। पैसे आएंगे तो मांग बढ़ेगी। इसी को अर्थशास्त्र में सूचक्र यानी virtuous cycle कहते हैं। 4. ओल्ड टैक्स रिजीम खत्म करने के संकेत इस बार के बजट में पुराने टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सरकार ने इस बारे में संसद में कोई चर्चा भी नहीं की। पुराने टैक्स रिजीम में सेक्शन 80C के तहत छूट और बाकी डिडक्शन हैं, लेकिन आज के ऐलान के बाद न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा प्रभावी लग रही है। ओल्ड टैक्स रिजीम को लिटरली मौत का इंजेक्शन दे दिया है। जिन लोगों HRA वगैरह ज्यादा मिलता है, उनको ओल्ड टैक्स रिजीम में फायदा मिलेगा। वर्ना 98%-99% लोग न्यू टैक्स रिजीम में आ जाएंगे। आने वाले न्यू इनकम टैक्स बिल में ये हो सकता है कि पुराने टैक्स को खत्म करने के लिए कोई समय सीमा दे दी जाए। चाहे वो 2, 3 या 4 साल की हो। सरकार की मंशा साफ है कि टैक्स व्यवस्था एक ही होगी, वो भी न्यू टैक्स रिजीम। 5. इनकम टैक्स के अलावा भी दो बड़ी घोषणाएं- TDS और TCS इनकम टैक्स के अलावा दो और महत्वपूर्ण घोषणाएं हुईं- TDS यानी Tax Deducted at Source और TCS यानी Tax Collected at Source। धारा 194A के तहत सीनियर सिटिजन को पहले 50 हजार रुपए तक की इंट्रेस्ट इनकम पर TDS लगता था, जिसे अब बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है। वहीं, अन्य लोगों के लिए ये इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स 40,000 से बढ़ा कर 50,000 कर दिया गया है। इसका मतलब ये हुआ कि TDS के जरिए जो पैसा चला जाया करता था और साथ ही साथ आपका इनकम टैक्स भले ही न बनता हो पर रिफंड पाने के लिए जो आप रिटर्न दाखिल करते थे। उसकी आपको जरूरत नहीं पड़ेगी। एक तरफ आपके लिए रिटर्न आसान हो गया और दूसरी तरफ आपके हाथ में पैसे आ जाएंगे। 6. सरकार ने कृषि को ‘सेक्टर ऑफ फ्यूचर’ माना, कई बड़े ऐलान किए एग्रीकल्चर को लेकर सरकार ज्यादा फोकस कर रही है। इकोनॉमी सर्वे को देखा जाए तो एग्रीकल्चर को ‘सेक्टर ऑफ द फ्यूचर’ यानी भविष्य का क्षेत्र कहा गया है। सरकार ने दाल के लिए मिशन लॉन्च करने की बात कही है। ये बहुत जरूरी है, क्योंकि देश में दाल और सरसों तेल बड़े पैमाने पर इम्पोर्ट किए जाते हैं। आने वाले समय में किसान धान, गेहूं के बाद इन फैसलों की पैदावार बढ़ाने पर जोर देंगे। इसके अलावा वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत मिलने वाले लोन की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का ऐलान किया है। इसका फायदा 7.7 करोड़ किसानों को मिलेगा। 7. बिहार में इस साल चुनाव, इसलिए बाकी राज्यों से ज्यादा मिला बिहार के लिए बजट ज्यादा सुविधाजनक रहा है इसमें कोई शक नहीं है। बजट में बिहार के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, पटना IIT का विस्तार, मखाना के लिए अलग से बोर्ड बनाना और मिथिलांचल में बाढ़ से निपटने के लिए नई योजना का ऐलान किया गया है। बिहार में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होंगे। साथ ही केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है, इस कारण पहले ही उम्मीद थी बिहार के लिए कुछ खास ऐलान हो सकता है। 8. पूंजीगत खर्च उम्मीद के मुताबिक नहीं, ये निराशाजनक इस बार के बजट का फोकस ‘कंजम्प्शन लेड ग्रोथ’ है। इसलिए पूंजीगत खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं दिख रही है। ये विकास की जरूरतों के हिसाब से कम है। ऐसा लगता है कि सरकार ने ज्यादातर ध्यान ये दिया है कि अगर अभी खपत बढ़ जाएगी तो उससे आगे पूंजीगत खर्च बढ़ाने का रास्ता मिल जाएगा। ——– एक्सपर्ट पैनल… शिशिर सिन्हाः ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ के एसोसिएट एडिटर हैं। मीडिया स्टूडेंट्स को बिजनेस जर्नलिज्म भी पढ़ाते हैं। स्वाति कुमारीः पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म Bwealthy की फाउंडर हैं। कई मीडिया हाउसेज में बतौर बिजनेस जर्नलिस्ट काम कर चुकीं। बलवंत जैनः टैक्स और इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट​​​​​ ——- बजट से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए- क्लिक करें

  • बजट 2025 – 10 पॉइंट्स में:फोन-EV सस्ते होंगे, बिहार में 3 नए एयरपोर्ट बनेंगे; टैक्स फ्री इनकम की लिमिट अब ₹12 लाख
    on 01/02/2025 at 11:30 PM

    इस बार के बजट में सरकार ने 10 बड़ी घोषणाएं की हैं। यहां पॉइंट में पढ़िए पूरा बजट… 1. इनकम टैक्स 2. सस्ता-महंगा 3. किसान 4. कारोबार 5. एजुकेशन 6. मकान 7. टूरिज्म और कनेक्टिविटी 8.हेल्थ 8. इंफ्रास्ट्रक्चर 9. महिला 10. न्यूक्लियर मिशन

  • बजट 2025 – सस्ता-महंगा:इलेक्ट्रिक कारें, फोन, LED, 36 जीवनरक्षक दवाएं सस्ती; सोना-चांदी में बदलाव नहीं
    on 01/02/2025 at 11:28 PM

    सरकार की बजट घोषणाओं के बाद कुछ चीजें सस्ती होंगी, कुछ के दाम बढ़ेंगे। लेकिन सोने-चांदी पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नीचे देखिए सस्ते-महंगे सामानों की सूची… अन्य आइटम जो सस्ते होंगे: 40,000 डॉलर से ज्यादा कीमत या 3,000 सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें और पूरी तरह से निर्मित (सीबीयू) यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 सीसी से अधिक नहीं है। अन्य आइटम जो महंगे होंगे: स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, पीवीसी फ्लेक्स शीट्स, पीवीसी फ्लेक्स बैनर, नीटिंग प्रोसेसे से बना कपड़ा दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम होगी बीते एक साल में क्या सस्ता और क्या महंगा… 3 सवालों में जानिए बजट में कैसे घटते-बढ़ते हैं सामानों के दाम सवाल 1: बजट में प्रोडक्ट सस्ते-महंगे कैसे होते हैं? जवाब: बजट में कोई भी प्रोडक्ट सीधे तौर पर सस्ता-महंगा नहीं होता। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी जैसे इनडायरेक्ट टैक्स के घटने-बढ़ने से चीजें सस्ती-महंगी होती है। ड्यूटी के बढ़ने और घटने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, सरकार ने बजट में ऐलान किया कि वो गोल्ड पर इम्पोर्ट ड्यूटी में 10% की कटौती कर रही है। इसका असर ये होगा कि विदेश से सोना मंगाना 10% सस्ता हो जाएगा। यानी, सोने की ज्वेलरी, बिस्किट, सिक्के की कीमतें कम हो जाएगी। सवाल 2: इनडायरेक्ट टैक्स क्या होता है? जवाब: टैक्सेशन को डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स में बांटा गया है: i. डायरेक्ट टैक्स: इसे लोगों की आय या मुनाफे पर लगाया जाता है। इनकम टैक्स, पर्सनल प्रॉपर्टी टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। डायरेक्ट टैक्स का बोझ वह व्यक्ति ही वहन करता है जिस पर टैक्स लगाया गया है और इसे किसी और को पास नहीं किया जा सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) इसे गवर्न करती है। ii. इनडायरेक्ट टैक्स: इसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, GST, VAT, सर्विस टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। इनडायरेक्ट टैक्स को एक व्यक्ति से दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है। जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) गवर्न करती है। सवाल 3: पहले बजट में ही टीवी, फ्रिज, एसी जैसे सामानों के दाम घटते-बढ़ते थे, अब ऐसा क्यों नहीं होता? जवाब: दरअसल, सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी लागू किया था। जीएसटी के दायरे में लगभग 90% प्रोडक्ट आते हैं और GST से जुड़े सभी फैसले GST काउंसिल लेती है। इसलिए बजट में इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता है।

  • बजट 2025- इनकम टैक्स:12 लाख तक इनकम पर 60 हजार फायदा; नई टैक्स रिजीम वाले फायदे में, पुरानी जस की तस
    on 01/02/2025 at 11:25 PM

    बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दी गई है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया गया है। पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि नई टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपए तक की छूट इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के तहत दी गई है। यानी नई टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख तक की सालाना कमाई वालों पर 4-8 लाख रुपए पर लगने वाले 5% टैक्स और 8-12 लाख की कमाई पर लगने वाला 10% टैक्स सरकार माफ कर देगी। इससे टैक्सपेयर को 60 हजार रुपए का फायदा होगा। मतलब यह कि अगर किसी की कमाई सालाना 12 लाख रुपए से ऊपर होती है तो उसकी टैक्स की कैलकुलेशन में 4-8 लाख पर 5% टैक्स और 8-12 लाख पर 10% टैक्स भी जोड़ा जाएगा। वहीं सरकार अगले हफ्ते नया इनकम टैक्स बिल लाएगी। भास्कर इनकम टैक्स कैल्कुलेटर से जानिए आप पर कितना टैक्स बनेगा चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) सुनील जैन से जानिए, अब आपकी कमाई पर लगेगा कैसे और कितना टैक्स… कैपिटल गेन इनकम पर देना होगा टैक्स मान लीजिए आपकी कुल इनकम 12 लाख रुपए है, जिसमें से सैलरी और अन्य इनकम 8 लाख रुपए है, लेकिन कैपिटल गेन इनकम 4 लाख रुपए है, तो सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट केवल 8 लाख रुपये पर ही दी जाएगी। 4 लाख रुपए की कैपिटल गेन इनकम पर टैक्सपेयर्स को अलग से इनकम टैक्स देना होगा। इनकम टैक्स या टैक्स को लेकर ये 8 बड़े बदलाव भी हुए अब पुरानी टैक्स रिजीम को समझें पुरानी टैक्स रिजीम चुनने पर अभी भी आपकी 2.5 लाख रुपए तक की इनकम ही टैक्स फ्री रहेगी। हालांकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत आपको 5 लाख तक की इनकम पर जीरो टैक्स देना होगा। पुरानी और नई टैक्स रिजीम से जुड़े 3 सवाल… सवाल 1: पुरानी और नई टैक्स रिजीम में क्या अंतर है? जवाब: नए टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री इनकम का दायरा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 लाख रुपए कर दिया गया, लेकिन इसमें टैक्स डिडक्शन नहीं मिलते हैं। वहीं, अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। सवाल 2: पुरानी टैक्स रिजीम में किस तरह की छूट मिलती है? जवाब: अगर आप EPF, PPF और इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्स स्‍कीम में निवेश करते हैं। तो आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में से ये इनकम कम हो जाएगी। वहीं, मेडिकल पॉलिसी पर किए गए खर्च, होम लोन पर चुकाए गए ब्याज और नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश किए गए रुपए भी आपकी टैक्सेबल इनकम से घट जाते हैं। सवाल 3: पुरानी टैक्स रिजीम किन लोगों के लिए बेहतर है? जवाब: अगर आप निवेश और टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकती है। वहीं अगर आप कम टैक्स रेट और टैक्स डिडक्शन के झंझटों से बचना चाहते हैं तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए सही हो सकती है।

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