एक्सिस बैंक को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ₹6,304 करोड़ का मुनाफा:नेट इंटरेस्ट इनकम 8.6% बढ़ी, 6 महीने में 19.94% गिरा बैंक का शेयर

एक्सिस बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 6,304 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। सालाना आधार पर इसमें 3.8% की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में बैंक को 6,071 करोड़ रुपए का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट हुआ था। वहीं, दिसंबर तिमाही में बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) यानी शुद्ध ब्याज आय सालाना (YoY) आधार पर 8.6% बढ़कर 13,606 करोड़ रुपए रही। जबकि, वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) यानी कुल ब्याज आय 3.93% रहा। बैंक ने आज यानी 16 जनवरी को मार्केट बंद होने के बाद नतीजे जारी किया। सालाना आधार पर ऑपरेटिंग प्रॉफिट 15% बढ़ा एक्सिस बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट सालाना आधार पर 15% बढ़कर ₹10,534 करोड़ रुपए रहा। वहीं, बैंक के कोर ऑपरेटिंग प्रॉफिट में सालाना आधार पर 14% बढ़कर ₹10,102 करोड़ रुपए रहा। ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स घटकर 1.46% हुआ दिसंबर तिमाही में एक्सिस बैंक का ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) घटकर 1.46% पर आया। एक साल पहले समान तिमाही में बैंक का NPA 1.58% था। वहीं, बैंक का नेट NPA भी कम होकर 0.35% पर आ गया है, जो एक साल पहले 0.36% था। एक साल में 6.71% गिरा एक्सिस बैंक का शेयर तिमाही नतीजों से पहले एक्सिस बैंक का शेयर आज गुरुवार (16 जनवरी) को 1.68% की तेजी के साथ 1,044 रुपए के स्तर पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में कंपनी का शेयर 9.29% गिरा है। वहीं, यह शेयर इस साल अब तक 2.59% और एक साल में 6.71% गिरा है। दिसंबर तिमाही में एक्सिस बैंक​ ने 130 नई ब्रांच खोली एक्सिस बैंक​ ने दिसंबर तिमाही में 130 नई ब्रांच खोली है। अब बैंक की डॉमेस्टिक ब्रांच बढ़कर 5,706 और बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट बैंकिंग आउटलेट 202 हो गए हैं। 31 दिसंबर 2024 तक एक्सिस बैंक के ATM की संख्या 14,476 थी। बैंक की शुरुआत 1993 में हुई थी। पहले इसका नाम यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI-बैंक) था। इस बैंक को यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC), जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (GIC) और चार इंश्योरेंस कंपनियों ने प्रमोट किया था। वापस नहीं मिली राशि NPA हो जाती है बैंक जो लोन या एडवांस देता है, अगर वह समय पर वापस नहीं मिला, उस राशि को बैंक NPA या नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर देता है। सामान्य तौर पर 90 दिनों तक रिटर्न नहीं मिलने की स्थिति में लोन या एडवांस अमाउंट को बैंक NPA की लिस्ट में डाल देता है। स्टैंडअलोन और कंसॉलिडेटेड क्या होता है? कंपनियों के रिजल्ट दो भागों में आते हैं- स्टैंडअलोन और कंसॉलिडेटेड। स्टैंडअलोन में केवल एक यूनिट का वित्तीय प्रदर्शन दिखाया जाता है। जबकि, कंसॉलिडेटेड या समेकित फाइनेंशियल रिपोर्ट में पूरी कंपनी की रिपोर्ट दी जाती है।

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