कैरारो के IPO का आज दूसरा दिन:ट्रैक्टर्स​​ के लिए एक्सल बनाती है कंपनी; MD बोले- केवल मेक इन इंडिया नहीं, डिजाइन इन इंडिया भी कर रहे

कैरारो इंडिया लिमिटेड के इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO के लिए बोली लगाने का आज दूसरा दिन है। निवेशक इस इश्यू के लिए कल यानी 24 दिसंबर तक बोली लगा सकते हैं। 30 दिसंबर को कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर बालाजी गोपलन ने बताया कि कैरारो इंडिया ट्रैक्टर्स​​ के लिए एक्सल और ट्रांसमिशन गियरबॉक्स प्रोवाइड करने वाली देश में एक ही कंपनी है। उन्होंने कहा कि महिंद्रा ग्रुप, एस्कॉर्ट्स कुबोटा से लेकर सबसे छोटा, जो रीजनलाइज ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर हैं, उनकों हम एक्सल और गियरबॉक्स ट्रांसमिशन देते हैं। हर ट्रैक्टर कंपनी में हमारा कोई ना कोई प्रोडक्ट जाता ही है। दैनिक भास्कर ने कंपनी के MD से कैरारो इंडिया के सफर और IPO से जुड़ी अन्य बातों से जुड़े सवाल किए… 1. सवाल: कैरारो इंडिया लिमिटेड का अब तक का सफर कैसा रहा है… इसकी कैसे शुरुआत हुई? जवाब: कैरारो इंडिया लिमिटेड एक इटालियन मल्टीनेशनल कंपनी की सब्सिडियरी थी, जो 1996 के आस-पास सेटअप हुई थी। उस कंपनी के चेयरमैन राजन नंदा ने एस्कॉर्ट लिमिटेड के साथ ज्वाइंट वेंचर (JV) था। ये ज्वाइंट वेंचर काफी अच्छा रहा, लेकिन हमने 2006-2007 में जॉइंट वेंचर खत्म कर दिया। यह ज्वाइंट वेंचर इसलिए खत्म हुआ था क्योंकि एस्कॉर्ट की प्रायोरिटी अलग थी और कैरारो के कोर कॉम्पिटेंस और बिजनेस प्लान अलग थे। तब डिसाइड हुआ कि हम JV छोड़ देंगे, लेकिन कस्टमर और सप्लायर के तौर पर हमारा रिलेशनशिप जारी रहेगा। जो अब एस्कॉर्ट्स कुबोटा हो गया है वह आज भी हमारा सबसे पुराना कस्टमर है। गोपालन ने कहा कि इसके बाद हमने पूणे में दो प्लांट स्थापित किया। उसमें से एक गेयर प्लांट और दूसरा असेंबली प्लांट है, जो काफी एडवांस टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही हमारे पास एक एडवांस वाटर बेस्ड प्लांट है, जहां हम प्रोडक्ट्स को फाइनल पेंट करके कस्टमर को देते हैं। इसके अलावा हमारे पास गेयर फैक्ट्री है, जिसमें हम गेयर्स भी मैन्यूफैक्चर करते हैं। उन्होंने बताता कि हमारे पास पुणे में ही एक इजीनियरिंग रिसर्च एंड डेबलपमेंट सेंटर भी है। वहां हम प्रोडक्ट को डिजाइन करते हैं, उस प्रोडक्ट का वर्चुअल वैलिडेशन और एनालिसिस करते हैं। हमारे पास लैब भी है, जो लोड टेस्टिंग कर सकता है। हमारी कंपनी इंडिया में 25 साल से है, जिसमें हमने अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर और कैपेबिलिटी पर फोकस करके उसको बिल्ड किया है। 2. सवाल: कंपनी का कोर मिशन और विजन क्या है? जवाब​​​​​​​: इसका जवाब देते हुए गोपालन ने कहा कि बहुत क्लीयर है… अभी जो इंडिया में पहले वाले ट्रैक्टर थे, वो सभी टू व्हील ड्राइव और कम हॉर्स पावर के थे। फार्मिंग सहित अन्य कामों के लिए ट्रैक्टर में जो इक्विपमेंट लगते हैं, वो हाई हार्स पावर और फोर व्हील ड्राइव वाले ट्रैक्टर में आराम से फिट हो सकते हैं। कैरारो इसी स्पेस में कॉन्ट्रीब्यूट कर रही है। जो हमारे इक्विपमेंट और ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर हैं, उनको सही टेक्नोलॉजी देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बोलती है मेक इन इंडिया, हमें इटालियन कंपनी के तौर पर लगता है कि इंडिया का जो माहौल है, जो सपोर्ट मिल रहा है और जो स्किल लेवल उपलब्ध है वह दुनिया में सबसे अच्छा है। इसीलिए कैरारो ग्रुप यहां फोकस कर रहा है। हम यहां पर केवल मेक इन इंडिया नहीं कर रहे हैं बल्कि एक कदम आगे डिजाइन इन इंडिया भी कर रहे हैं। 3. सवाल: कंपनी की असेंबली लाइन और कितनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज कितनी हैं? जवाब​​​​​​​: हमारे पास पुणे के रंजन गांव MIDC में 53 एकड़ की जमीन है, जिसमें हमारी 2 फैक्ट्री हैं। इसमें करीब 1800 लोग काम करते हैं। हमारे पास 8 मार्डन ऑटोमेटिक असेंबली लाइन हैं, जो एयर प्रेशराइज रूम में काम करती है। ताकि डस्ट भी ना जा सके। 4. सवाल: आपका प्रायमरी कस्टमर कौन है और उसको बढ़ाने के लिए क्या कोई प्लान तय किया है? जवाब​​​​​​​: हमारा सबसे बड़ा कस्टमर महिंद्रा ग्रुप है। इसके बाद एस्कॉर्ट्स कुबोटा सहित अन्य कंपनियां हैं। मैं बड़े गर्व से कह सकता हूं कि इंडिया में महिंद्रा से लेकर सबसे छोटा, जो रीजनलाइज ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर हैं उनको हम एक्सल देते हैं या तो गियरबॉक्स ट्रांसमिशन देते हैं या फिर दोनों देते हैं। हर ट्रैक्टर कंपनी में हमारा कोई ना कोई प्रोडक्ट जाता ही है। हमारे पास कंस्ट्रक्शन व्हीकल और ट्रैक्टर दोनों मिलाकर 38 कस्टमर हैं और 6 कस्टमर्स को हम एक्सपोर्ट करते हैं। 5. सवाल: कंपनी के कोई प्रोडक्ट इनोवेशन बता सकते हैं क्या जो आपको औरों से अलग बनाता है? जवाब​​​​​​​: हमारा प्रोडक्ट हर एक प्रोडक्ट का डिफरेंशिएट प्रोडक्ट है। हम कस्टमर को कैटेलॉग से लेकर कोई स्टैंडर्ड प्रोडक्ट नहीं देते हैं। कस्टमर के हिसाब से हम उन्हें सूटेबल प्रोडक्ट देते हैं, जिसको हम उनके हिसाब से मोडिफाई करते हैं। 6. सवाल: कैरारो इंडिया की कॉम्पिटिटर कंपनियां कौन सी हैं? जवाब​​​​​​​: गोपालन ने कहा कि पहले एग्रीकल्चर सेक्टर की कॉम्पिटिटर कंपनियों की बात करें तो महिंद्रा सहित अन्य भारतीय कंपनियों के पास गियर बॉक्स मैकेनिकल हैं और उनके पास 60 से 70 हार्स पावर की कैपेबिलिटीज हैं। अगर उनको बाहर से इसे सोर्स करना है तो पूरी दुनिया में केवल कैरारो इंडिया ही टैक्टर्स के लिए गियर बॉक्स सप्लाई करती है। इसमें हमारा कोई भी कॉम्पिटिटर नहीं है। वहीं, जब एक्सल की बात करें तो उसमें अमेरिकी कंपनी दाना का लार्जली एग्रीकल्चर एक्सल में उनका फोकस रहता है। हालांकि, इंडिया में उनका बिजनेस हमारे मुकाबले काफी छोटा है। दूसरा एक इटालियन केवल कंस्ट्रक्शन व्हीकल्स के लिए एक्सल बनाती है, जो मैनपावर और रेवेन्यू के मामले में कैरारो से बहुत छोटी है। तीसरी बहुत बड़ी जर्मन कंपनी जेडएफ है, लेकिन उनका फोकस कॉमर्शियल व्हीकल्स और पैसेंजर व्हीकल्स में है। हमारी इंडस्टी से उनका रेवेन्यू केवल 20% है। उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कहना चाहता हूं कि दाना और जेडएफ के पास गेयर बॉक्स नहीं हैं। मेरा कहना है कि इंडिया में वह गियर बॉक्स को मैन्युफैक्चरर नहीं करते हैं, उन्हें बाहर से इंपोर्ट करना पड़ता है। यह उनके लिए फेयरवेल नहीं है। ऐसे में कैरारो इंडिया एक्सल और ट्रांसमिशन गियरबॉक्स प्रोवाइड करने वाली देश में एक ही कंपनी है, इसलिए यह ग्रो भी कर रही है। इसी कारण हमें कस्टमर्स का प्रीफर्ड सप्लाय का दर्जा मिला हुआ है। 7. सवाल: कंपनी की भविष्य की क्या योजनाएं हैं और आपने कब सोचा कि IPO लाना चाहिए? जवाब​​​​​​​: SEBI के रेगुलेशन के हिसाब से मैं फ्यूचर के प्रीडिक्शन पर नहीं बात कर सकता हूं। मैं यही कह सकता हूं कि हम 5-6 साल पहले 800-900 करोड़ थे, आज हम 1800 करोड़ के करीब पहुंच गए हैं। यह ट्रेंड जो आया है, यह मार्केट फोर व्हील टेक्नोलॉजी, हायर टेक्नोलॉजी, कंस्ट्रक्शन व्हीकल में सेमी ऑटोमेटिक गियर बॉक्स और ऑटोमेटिक गियर बॉक्स को अब्जॉर्ब कर रहा है। इसकी वजह से हमें अच्छा मार्केट दिख रहा है और ऑटोमेटिक हमें ऑर्डर मिल रहे हैं। कंपनी की पिछली जो ग्रोथ दिख रही है वह आधी आधूरी है, हमारा फ्यूचर काफी अच्छा है। 8. सवाल: इस IPO में पूरा 1250 करोड़ का OFS है, जिससे कंपनी को कोई भी पैसा नहीं मिलेगा। इसे आप कैसे देखते हैं? जवाब​​​​​​​: कंपनी के फाइनेंशियल हेल्थ के लिए यह बहुत ही पॉजिटिव बात है। हम मार्केट में बिजनेस करने के लिए पैसा उठाने नहीं आए हैं। हमारी कंपनी फाइनेंशियली काफी स्टेबल है। कंपनी की ओर से IPO के जरिए ये जो ऑफर फॉर सेल के लाया जा रहा है, यह उन शेयरहोल्डर्स को मिलेगा जो 25 साल से करीब 2000 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किया है। यह नार्मल है कि जिन्होंने इतना पैसा इन्वेस्ट किया है, उनको रिटर्न मिलना जरूरी है। इसीलिए वह अपने शेयर बेच रहे हैं, लेकिन यह पैसा कैरारो ग्रुप के अंतर्गत जा रहा है। इससे कैरारो ग्रुप में क्या इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना है, कहां इन्वेस्टमेंट करना है वह ग्लोबल लेवल पर सोचा जाएगा। वहीं, अगर इंडिया की बात करें तो हमारे पास सफिशिएंट फंडिंग है। हमें यह नहीं लग रहा है कि ये पैसा अभी लेकर इंडिया में रखना जरूरी है। पैसे का सर्कुलेशन होना बहुत जरुरी है, रोटेशन होना जरुरी है। 9. सवाल: आने-वाले 2-3 सालों में शेयर कैसा परफार्म कर सकता है? जवाब​​​​​​​: इसका जवाब देते हुए गोपालन ने कहा कि जो इंडिया में फोर व्हील ड्राइव वाले ट्रैक्टर का मार्केट है, जो 5-6 साल पहले केवल 2% था। अभी यह 15%-17% हुआ है। वहीं, अगर किसी अन्य डेवलप कंट्री जैसे यूरोप या US की बात करें तो वहां 98% ट्रैक्टर फोर व्हील ड्राइव वाले हैं। यह जो फोर व्हील ड्राइव का ट्रांजिशन हो रहा है, उसमें कैरारो इंडिया को मैक्सिमम एडवांटेज मिलने वाला है। हमने पिछले 4 सालों में ही 65% मार्केट शेयर नॉन कैपटिव में कैप्चर कर लिया है। आगे जाकर बाहर से किसी भी कंपनी को फोर व्हील ड्राइव या ट्रांसमिशन लेना है तो कैरारो को प्रीफर्ड किया जाएगा। इंडिया में ट्रैक्टर इंडस्ट्री 10 लाख ट्रैक्टर की है, जिसमें से 1.5 लाख ही फोर व्हील ड्राइव में हैं। 10. सवाल: बीते 5 सालों में कंपनी का फाइनेंशियल परफार्मेंस कैसा रहा, क्या इसकी समरी बता सकते हैं? जवाब​​​​​​​: कंपनी का फाइनेंशियल परफार्मेंस काफी कंसिस्टेंस और स्टेबल रहा है। हमने मार्केट पेनेट्रेशन,सही प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी पर फोकस किया है। इसके साथ ही हमने कस्टमर्स के साथ ब्रांड की रिलायबिलिटी एस्टेब्लिश किया है। इसका लॉन्ग टर्म एडवान्टेज यह होता है कि जब टेक्नोलॉजी मूव होता है, तो कस्टमर्स पहले से ही कंपनी के साथ फैमेलियर रहते हैं। इससे हमारा बिजनेस बढ़ने के चांज ज्यादा रहता है। पहले जो टेक्नोलॉजी इंडिया में यूज हो रही थी, वो काफी मीडियम लेवल की थी। वहीं, कैरारो की असली ताकत टेक्नोलॉजी है। हमारा रोल यही से शुरू हुआ है, जब टेक्नोलॉजी अपग्रेड हो रही है। उन्होंने कहा कि 4-5 साल पहले हम 43% कंपोनेंट बाहर से इंपोर्ट करते थे, जिसके कारण हमारा मार्जिन कम होता था। अभी हमने लोकल सप्लायर्स को डेवलप कर दिया है। आज की तारीख में हम 64% से 70% लोकलाइज हो चुके हैं। 11. सवाल: कंपनी या IPO से जुड़ी ऐसी कोई खास बात जिसे आप इन्वेस्टर्स के साथ शेयर करना चाहते हैं? जवाब​​​​​​​: ये एक टेक्नोलॉजी बेस्ड ग्लोबल कंपनी है। यह एक ऐसी मल्टीनेशनल कंपनी है, जिसने चूज किया है कि इंडिया में मेरा फ्यूचर है। वह इंडिया को बढ़ाना चाहती है। आज की तारीख में कैरारो इंडिया, कैरारो ग्रुप में रेवेन्यू में 20% का योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि इंडिया कैरारो ग्रुप का लार्जेस्ट डेस्टीनेशन बनेगी। यह एक यंग और ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन है, जिसको ग्रुप की ओर से टेक्नोलॉजी सपोर्ट मिल रहा है। सभी को मालूम है कि इंडिया डेवलपिंग कंट्री है और सरकार भी बिजनेस को सपोर्ट कर रही है। इसलिए हमें लगता है कि सही समय में सही जगह पर हैं।

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