जापानी कार मेकर्स होंडा और निसान ने मर्जर के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग यानी MOU साइन किया है। कंपनियों के बीच सोमवार (23 दिसंबर) को पहले फेज की बातचीत हुई। कंपनियों ने ऑफिशियल स्टेटमेंट में इस बात की जानकारी दी है। होंडा-निसान का यह मर्जर अगले साल जून तक फाइनल हो सकता है। कंपनियां इस डील के जरिए एक होल्डिंग कंपनी बनाएंगी, जिसमें इसमें दोनों की बराबर की हिस्सेदारी होगी। नई होल्डिंग कंपनी टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज (TSE) में अगस्त 2026 तक लिस्ट हो जाएगी। इसके अलावा, दोनों अपने-अपने ब्रांड को भी बढ़ाने के लिए काम करेंगी। चीन-अमेरिका में घट रही हिस्सेदारी मेजर कारण चीनी और अमेरिकी मार्केट में सेल्स और प्रॉफिट में गिरावट चलते कंपनियों को अपने वर्कफोर्स और प्रोडक्शन कैपेसिटी में कटौती करनी पड़ी है। पिछले कुछ समय से कंपनियों के प्रॉफिटेबिलिटी में भी करीब 70% की गिरावट रही है। दोनों बड़े मार्केट में हिस्सेदारी कम होना कंपनियों के साथ आने की वजह हो सकती है। मर्जर के बाद जापान में दो मेजर कंपनियां बनेंगी इस डील से जापान की ऑटो इंडस्ट्री में दो मेजर कंपनियां काम करेंगी- पहला: होंडा, निसान और मित्सुबिशी के कंट्रोल वाली होल्डिंग कंपनी और दूसरा: टोयोटा ग्रुप की कंपनियों से मिलकर बना ग्रुप। निसान ने फ्रांस की रेनो SA के साथ अपने टाइज को फिलहाल कम कर दिया है। जबकि होंडा जनरल मोटर कंपनी से पीछे हट गया है। होंडा और निसान के बीच इस डील की चर्चा से पहले साल की शुरुआत में दोनों कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी और सॉफ्टवेयर पर एक साथ काम करने के लिए राजी हुई थीं।
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