मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यूएशन पिछले हफ्ते के कारोबार के बाद 86,848 करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC और सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री टॉप गेनर रही। HDFC बैंक का मार्केट कैप 20,236 करोड़ रुपए बढ़कर 13.75 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 20,231 करोड़ रुपए बढ़कर 16.52 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। SBI की मार्केट वैल्यू 11,557 करोड़ रुपए कम हुई जबकि बीते हफ्ते के कारोबार के बाद सबसे बड़ी सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI की मार्केट वैल्यू 11,557 करोड़ रुपए कम होकर 7.14 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। वहीं, LIC का मार्केट कैप 8,412 करोड़ रुपए कम होकर 5.61 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। इन दोनों के अलावा, इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS की वैल्यू भी बीते हफ्ते गिरी है। बीते हफ्ते 226 अंक चढ़ा सेंसेक्स बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार 27 दिसंबर को बाजार 226 अंक की तेजी के साथ 78,699 पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 63 अंक की तेजी रही, ये 23,813 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 में तेजी और 10 में गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 30 में तेजी और 20 में गिरावट रही। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में फार्मा सेक्टर सबसे ज्यादा 1.30% की बढ़त के साथ बंद हुआ। पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 657 पॉइंट्स (0.84%) और निफ्टी में 225 (0.95%) चढ़े। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां। मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत) मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है। मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।