तीसरी तिमाही के नतीजों के बाद आज यानी, गुरुवार 6 फरवरी को स्विगी को शेयरों में गिरावट है। कंपनी का शेयर करीब 4% गिरकर 400 रुपए पर कारोबार कर रहा है। बीते एक महीने में शेयर करीब 25% गिरा है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में स्विगी को ₹799 करोड़ का घाटा स्विगी को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 799 करोड़ रुपए का नुकसान (कॉन्सोलिडेटेड नेट लॉस) हुआ है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को 574 करोड़ रुपए का लॉस हुआ था। सालाना आधार पर कंपनी का घाटा 39% बढ़ा है। कंपनी का ऑपरेशन से रेवेन्यू 31% बढ़कर 3,993 करोड़ रुपए रहा। पिछले साल की समान तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर 2023-24 में कंपनी ने 3,049 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से होने वाली कमाई को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है। बेंगलुरु से हुई थी स्विगी की शुरुआत स्विगी की शुरुआत बेंगलुरु के कोरामंगला से हुई थी। फाउंडर्स नंदन रेड्डी और श्रीहर्षा मजेटी ने कुछ डिलीवरी पार्टनर और लगभग 25 रेस्टोरेंट से जुड़कर कंपनी शुरू की। उस वक्त स्विगी ऐप पर मौजूद नहीं था। इसलिए लोग उसकी वेबसाइट पर जाकर अपने मनपसंद रेस्टोरेंट को चुनकर फूड ऑर्डर करते थे। स्विगी की सर्विस लोगों को काफी अच्छी लगने लगी और इससे कंपनी को पहचान मिलनी शुरू हो गई। कंपनी ने 2015 के शुरुआती महीनों में खुद का ऐप लॉन्च किया। ऐप की मदद से फूड ऑर्डर करना कस्टमर के लिए आसान हो गया। स्विगी भारत की सबसे तेज यूनिकॉर्न बनने वाली कंपनी है। यूनिकॉर्न तक का सफर तय करने में कंपनी को 4 साल से भी कम समय लगा। 2014 में शुरू हुई कंपनी 2018 तक 10 हजार करोड़ की वैल्यूएशन वाली कंपनी बन गई थी। आज भारत में कुल 67 यूनिकॉर्न हैं। जिसमें स्विगी और ड्रीम-11 टॉप इंडियन यूनिकॉर्न कंपनी में शामिल है।