इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा ने साल 2011 से इंश्योरेंस खरीदारों को पोर्टेबिलिटी के अधिकार दिए हुए हैं। इस विकल्प का इस्तेमाल इंश्योर्ड व्यक्ति अपनी पॉलिसी मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी से किसी अन्य इंश्योरेंस कंपनी में स्विच करने के लिए कर सकता है। यहां हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी से जुड़े कुछ आम सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं… इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी कब चुनना चाहिए? ये भी जानें… इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के लिए कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं देना होता है। इसके साथ ही पुरानी पॉलिसी के बेनिफिट का कोई नुकसान भी नहीं होता है। पिछली पॉलिसी में मिले मौजूदा बीमारियों के वेटिंग पीरियड को ही आगे बढ़ाया जाता है। इस मामले में सहूलियतें बनी रहती हैं। पोर्ट कराते समय क्या ध्यान रखना चाहिए? इंश्योरेंस पोर्ट कराने में कोई नुकसान है? पोर्ट के बजाय नया प्लान लेना बेहतर है? ये भी है विकल्प: आप पोर्ट करने या नया प्लान लेने के बजाय कुछ अतिरिक्त प्रीमियम देकर अपनी मौजूदा पॉलिसी में ही कंपनी द्वारा दिए जा रहे एड-ऑन या राइडर्स जोड़ सकते हैं और मौजूदा प्लान को बेहतर बना सकते हैं।